CG News: छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में एक तिब्बती एक्स आर्मी के जवान ने आठ एकड़ से अधिक पथरीली भूमि को उपजाऊ बनाकर वहां फार्म हॉउस तैयार किया है और यहां वे शहद उत्पादन भी कर रहें हैं. उसे वे दिल्ली, मुंबई सहित विदेशों में सप्लाई कर रहे हैं. वे कई बार अमेरिका, स्वीटजरलैंड सहित दूसरे अन्य देशो में अपने फार्म हॉउस का शहद भेज चुके हैं.
एक्स आर्मी लाखपा कहते हैं कि मेरा जन्म मैनपाट में हुआ, इसके बाद फ़ौज में चला गया ज़ब रिटायर्ड हुआ तो अपनी पूरी कमाई पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाने में लगाया और यहां सैकड़ों प्रकार के फल और इमारती लकड़ी देने वाले पौधे लगाया जो अब पेड़ बन रहे हैं. वहीं यहां पांच अलग अलग देशों में होने वाले लीची की किस्म भी लगाई हैं, तो आम भी लगाए जो विदेशों में होते हैं. इसके साथ ही फार्म हॉउस में हल्दी सहित अन्य मसालो का उत्पादन करते हैं और उनकी सप्लाई भी विदेशों के साठ बड़े महानगरों में किया जाता है.
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लाखपा बताते हैं कि ज़ब उनके पूर्वज तिब्बत से यहां आए और उन्हें भारत सरकार ने खेती और रहने के लिए जमीन दिया तो पारम्परिक रूप से खेती करते थे लेकिन नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने खेती को आधुनिक और व्यवसायिक रूप में करने का प्लान किया और वे मैनपाट के पर्यावरण को बेहतर बनाने में साथ देने के उदेश्य से इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ भी लगाए हैं.
एक्स आर्मी फार्म हॉउस में मधुमक्खी का पालन उन्होंने इसलिए शुरू किया क्योंकि फार्म हॉउस में लगे पौधों के फूल से शहद का उत्पादन किया जा सकता था. इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग भी लिया और अब हर सीजन में 40-50 किलो शहद निकलता है जिसे वे विदेशों में फोन कॉल में आर्डर आने पर भेजते हैं. वहीं उनके फार्म हॉउस के शहद की डिमांड विदेशों में इसलिए है क्योंकि पूरा आर्गेनिक है और विदेशी यहां के शहद की भी ख़ास टेस्ट बताते हैं.