CG News: सरगुजा जिले के सीतापुर इलाके से तीन महीना पहले गायब एक राजमिस्त्री की लाश जल जीवन मिशन योजना के तहत बने पानी टंकी के फाउंडेशन के नीचे मिली है. पुलिस ने लाश को निकालने के लिए पानी टंकी को पहले तोड़ दिया, उसके बाद दो जेसीबी मशीन लगाकर पानी टंकी के फाउंडेशन के ऊपर करीब 15 फीट खुदाई की गई तब जाकर राजमिस्त्री का शव मिला. परिजनों ने 3 महीने पहले आशंका जताई थी कि ठेकेदार ने राजमिस्त्री की हत्या कर दी है और लाश को कहीं ठिकाने लगा दिया है. तब आदिवासी समाज के लोगों ने सीतापुर थाना के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था और तब पुलिस अधीक्षक ने लोगों को भरोसा दिया था कि राजमिस्त्री की खोजबीन के लिए जांच टीम गठित की जा रही है और तब लोग शांत हुए थे. लेकिन आज राजमिस्त्री का लाश मिलने के बाद एक बार फिर पुलिस पर लापरवाही का आरोप परिजनों ने लगाया और कहा कि अगर समय रहते राजमिस्त्री को खोज निकाला गया होता तो शायद उसकी हत्या नहीं हुई होती.
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सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम उलकिया में भवन के कार्य में राजमिस्त्री का काम कर रहा दीपेश उर्फ संदीप 07 जून 2024 से लापता था. दीपेश उर्फ संदीप की पत्नी का आरोप था कि छड़ चोरी के आरोप में ठेकेदार और उसके साथियों ने अपहरण कर पति के साथ मारपीट की और उसे कहीं फेंक दिया गया है. शिकायत के बाद पुलिस जांच कर रही थी. वही बताया जा रहा है कि जब पुलिस ने जांच शुरू की तो लापता राजमिस्त्री का मोबाइल लोकेशन मुंबई सहित दूसरे बड़े शहरों में बता रहा था लेकिन पुलिस ने जब संदेह के आधार पर ठेकेदारों और उसके अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू किया तो यह बात सामने आई की हत्या के बाद राजमिस्त्री केशव को पानी टंकी के फाउंडेशन के नीचे दफन किया गया है इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस दंग रह गई और शुक्रवार सुबह से ही पुलिस ने दो जेसीबी मशीन लगाकर पहले तो पानी टंकी के स्ट्रक्चर को हटाया और उसके बाद वहां खुदाई शुरू की गई करीब 15 फीट खुदाई के बाद राजमिस्त्री का शव दफनाया हुआ मिला जिसे बाहर निकल गया.
घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत भी मौके पर पहुंच गए इस दौरान राजमिस्त्री के परिजन भी वहां पर थे. वहीं दूसरी तरफ इस घटना को लेकर आदिवासी समाज के लोगों में गुस्सा है इसे देखते हुए मैनपाट और सीतापुर इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है चौक चौराहे पर पुलिस जवान निगरानी रख रहे हैं. बताया जा रहा है कि पूरे मामले में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया और उनसे तीन दिनों तक कड़ाई से पूछताछ की गई इसके बाद शव को दफन करने की जानकारी पुलिस को मिल पाई. वहीं इस पूरे मामले में पुलिस ठेकेदार को नहीं पकड़ सकी है. यही वजह है कि आदिवासी समाज के लोगों में अधिक गुस्सा है.