Chhattisgarh News: बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा. साधन धाम मोच्छ कर द्वारा, पाइ न जेहिं परलोक संवारा.रामायण में गोस्वामी तुलसीदास मनुष्य के जीवन की सार्थकता एक चौपाई में व्यक्त किया है. वह कहते हैं यह मनुष्य का जीवन हमें न जाने कितने पुण्य सौभाग्य से मिला है, इस जीवन में किए गए कार्य, आचरण ही आपके यश व मोक्ष द्वार में प्रवेश का माध्यम बनेंगे. जशपुर (छत्तीसगढ़) के लुडेग के स्वर्गीय चंद्रभान अग्रवाल ऐसे ही एक सेवाभावी व्यक्तित्व हैं. चंद्रभान अग्रवाल ने जशपुर के लुडेग, पत्थलगांव व रायगढ़ में धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक चेतना जागृत करने में अहम भूमिका निभाई.
चंद्रभान अग्रवाल का जन्म पिता ईश्वर चंद्र अग्रवाल एवं माता नर्मदा देवी के यहां 1954 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ. वह चार भाई और चार बहनों में सबसे बड़े थे. बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में मेधावी थे, लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक न होने की वजह से बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. गल्ले-किराना के पिता के काम में हाथ बढ़ाना शुरू किया, परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए दाल और तेल मिल भी स्थापित की.
ये भी पढ़ें- Chhattisgarh: राजनांदगांव में पुलिस ने 6 करोड़ से ज्यादा के गांजा और नशीले पदार्थों को किया नष्ट
समाज हित में रहा बड़ा योगदान
इसके बाद कस्बाई क्षेत्र में उन्होंने परिवहन सेवा का व्यवसाय खड़ा किया. व्यवसाय में सफलता के शिखर को स्पर्श करने के बाद भी आय का अधिकांश हिस्सा समाज के हित में खर्च करते थे. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उपचार, शिक्षा, आजीविका उनकी पहली प्राथमिकता थी. जरुरतमदों के साथ अक्सर खड़े रहने की वजह से चंद्रभान अग्रवाल आज भी रायगढ़, पत्थलगांव व छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्से में सेवाभावी व्यक्तित्व के रूप में याद किए जाते हैं. पिता से मिले सनातन के संस्कार से वह श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़े जनजागरण अभियान के अगुआ रहे.
रायगढ़, जशपुर, पत्थलगांव में बढ़ती कन्वर्जन गतिविधियों ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र की ओर अग्रसर किया, जिससे वह जनसंघ के सक्रिय सदस्य बन गए. लुडेग एवं पत्थलगांव में कांग्रेस के अभेद किले में जनसंघ का पौधा सिंचने वाले चंद्रभान अग्रवाल महामंत्री एवं मंडल अध्यक्ष, और पत्थलगांव जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष जैसे दायित्वों का निर्वहन करते हुए संगठन की सेवा की.
पत्रकार के रूप में भी किए काम
राजनीति से अधिक उनका मन पत्रकारिता और सामाजिक प्रबोधन में रमता था. स्वदेश के तहसील संवाददाता के रूप में उन्होंने इसाई मिशनरियों के कन्वर्जन समेत तत्कालीन प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अनेक समाचार लिखे. जिन्होंने शासन व प्रशासन को हमेशा जागृत रखने का कार्य किया. 1992 के आसपास लुडेग तक स्वदेश समाचार पहुंचना कठिन होता था, ऐसे में पहले रायपुर से रायगढ़ समाचार पत्र आता था. इसके बाद उसे लुडेग के लिए भेजा जाता था. राष्ट्रीय विचारों के पोषक समाचार पत्र की ख्याति बहुत अधिक होने की वजह से शाम को भी लोग उतने ही तन्मयता से समाचार पत्र पढ़ते थे.
स्वदेश समाचार पत्र के वितरण का कार्य चंद्रभान ज के परिवार के लोग ही करते थे. उनके परिवार के लोग भारतीयता व स्वदेशी विचार के प्रचार-प्रसार हेतु नि:शुल्क घरों में समाचार उपलब्ध करवाते थे. पत्रकारिता के प्रति उनके भीतर का आकर्षण इतना अधिक था कि उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत जनक्रम समाचार पत्र के प्रसार में सहयोग किया. सामाजिक मुद्दों पर चंद्रभान अग्रवाल की जागरुकता व संवेदनशीलता को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उन्हें केंद्रीय दूरसंचार सलाहकार समिति में सदस्य नियुक्त किया गया.
पेयजल सुविधाओं के लिए प्रयास किया
पत्थलगांव के विकास के प्रति उनके भीतर की उत्कंठा का आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने तत्कालिन भाजपा सरकार के कार्यकाल में दूरदर्शन केंद्र की स्थापना के सेतु बने. उन्होंने सांसद प्रतिनिधि के रूप में पेयजल सुविधाओं के लिए प्रयास किया. पत्थलगांव से शासकीय अस्पताल के उन्नयन का लाभ आज भी स्थानीय लोगों को मिल रहा है. सामाजिक मुद्दों को लेकर चंद्रभान अग्रवाल जितने संवेदनशील थे, उतने ही आक्रामक भी. एक बार छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी पत्थलगांव ब्लॉक में ऐसे प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने आ रहे थे, जिसका पहले ही उद्घाटन किया जा चुका था. ऐसे में उसका व्यापक विरोध किया, जिसके बाद उन्हें अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. वह मुरली मनोहर जोशी की कश्मीर एकता यात्रा के लिए छत्तीसगढ़ से सम्मिलित होने वाले कुछ प्रमुख सदस्यों में शामिल थे. वह भाजपा के मुंबई एवं दिल्ली अधिवेशन में भी सम्मिलित हुए थे.
चंद्रभान अग्रवाल की पहचान सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाले एक लोकप्रिय समाजसेवी की थी. उनके प्रयासों से किलकिला शिवमंदिर में कई सेवा कार्य प्रारंभ हुए. श्याम मंदिर कीर्तिन समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने क्षेत्र में हिंदुत्व की अलख जगाने में अहम भूमिका निभाई. वनवासी कल्याण आश्रम, अग्रवाल सभा के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की दिशा में अनेक प्रयास किए. सरस्वती शिशु मंदिर लुडेग में 25 वर्ष तक अध्यक्ष रहे. पत्थलगांव शिशु मंदिर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक सक्रियता से चंद्रभान अग्रवाल प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा प्रिय रहे. स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, अविभाजित मध्य प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता लखीराम अग्रवाल का उन्हें विशेष स्नेह मिला. सीएम विष्णु देव साय ने उन्हें अपने पहले संसदीय कार्यकाल में ही सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया. यहां तक की श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता विजयराजे सिंधिया, साध्वी उमा भारती, सुंदरलाल पटवा समेत कई राजनेताओं का उन्हें पूरा स्नेह प्राप्त हुआ.
कार्यकर्ताओं के बीच उनकी एक साहित्यिक रचना काफी लोकप्रिय है, जिसमें वह कहते हैं, “नन्हा बीज एक बो दो, वही पेड़ बन जाएगा. छोटा सा तुम दीप जला दो, अंधकार मिट जाएगा. अगर ईंट पर ईंट रखेंगे तो वही भवन बन जाएगा. मीठे बोल अगर बोलोगे तुम,अपनापन बढ़ जाएगा. तन-मन-धन से सेवा करोगे तो संगठन बड़ा हो जाएगा.”
सार्वजनिक जीवन में अपने सेवाभावी व्यक्तित्व से छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल में सामाजिक एकता व सद्भाव के आदर्श प्रतिमान स्थापित करने वाले चंद्रभान अग्रवाल का 10 अक्टूबर 2012 को देवलोकगमन हो गया. धर्म की धुरि धारण करने वाले पुण्याआत्मा चंद्रभान अग्रवाल आज देह रूप में भले ही संसृति प्राप्त कर चुके हैं लेकिन राजनीतिक एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को आज भी वह प्रेरित करते हैं.
( डिस्क्लेमर- इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं. इसमें शामिल तथ्य और विचार विस्तार न्यूज के नहीं हैं और संस्थान इसकी कोई ज़िम्मेदारी या जवाबदेही नहीं लेता )