Chhattisgarh News: पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार से ही कोंटा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है, और इन दिनों बीएमओ की पोस्टिंग को लेकर सुर्खियों में है. उस वक्त विपक्ष में रहे स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा बीएमओ डॉ रसपाल सिंह सुमन के खिलाफ खोला गया मोर्चा आज भी जारी है. प्रदेश मेंं भाजपा की सरकार बनने के बाद से अपने चेहते डॉक्टर को बीएमओ बनाने भाजपा का स्थानीय गुट अड़ा हुआ है. वहीं सीएमएचओ द्वारा वरिष्ठता के आधार पर बीएमओ का प्रभार दिए जाने से मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. प्रभारी मंत्री से लेकर विभागीय मंत्री तक शिकायतों का दौर भी जारी है. स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों का विभागीय अफसरों द्वारा अनदेखी करने की बात कही जा रही है, लेकिन इन सबके बीच नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोगों को हो रही दिक्कतों को लेकर जनप्रतिनिधि गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं.
बीते 10 सालों में कोंटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेंं 20 बीएमओ को बदला गया है। इसके बावजूद हालातों में कोई खास बदलाव नहीं आया। इन 10 सालों में एसडीएम से लेकर स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ बाबू तक को बीएमओ की कमान सौंपी गई है। अव्यवस्थाओं के बीच सीमित संसाधनों में कोंटा ब्लॉक व सीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। आज भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सेटअप के अनुरूप चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। ऊपर से राजनीतिक दखल ने स्वास्थ्य व्यवस्था को बद से बदतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बीते 24 सालों में सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने भी स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का प्रयास नहीं किया।
बीएमओ के लिए अपात्र है डॉक्टर अरविंद सिंह
जानकारी के अनुसार कोंटा के स्थानीय भाजपा नेताओं ने संगठन मंत्री के माध्यम से हेल्थ मिनिस्टर को अपने चेहते डॉक्टर अरविंद सिंह को बीएमओ बनाने की गुजारिश की। डॉ अरविंद सिंह कार्य के प्रति गंभीर नहीं होने की वजह से सीएमएचओ डॉ महेश शांडिया ने उन्हें अपात्र घोषित करते हुए डॉ अमित को प्रभार दे दिया. डॉ रसपाल सिंह और डॉ अमित सिंह दोनो एक ही बैच के हैं, उन्होंने भी बीएमओ का चार्ज लेने से मना कर दिया. इधर अपने चेहते डॉक्टर अरविंद सिंह के बीएमओ का प्रभार नहीं दिए जाने से नाराज कोंटा के भाजपा नेताओं ने सीएमएचओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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कार्य के प्रति गंभीर नहीं भाजपा के चेहते डॉक्टर
सीएमएचओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार डॉ अरविंद सिंह परिवीक्षा अवधि में स्वास्थ्य केन्द्र जगरगुंडा मेडिकल ऑफिसर के रूप में 12 अगस्त 2022 को कार्यालय सीएमएचओ सुकमा में उपस्थिति दी. कार्य पर उपस्थिति के दूसरे दिन 13 अगस्त 2022 से अपने कार्य से 124 दिवस अनुपस्थित रहे. इसके बाद 18 जनवरी 2023 को कार्यालय में पुनः अपनी उपस्थिति दिए. इसके उपरांत भी इनके द्वारा बिना पूर्व सूचना के कई बार अपने कार्य से अनुपस्थित रहने पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी कोन्टा के द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया. जिसका इनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिये जाने पर इनके विरूद्ध वेतन कटौती की कार्यवाही की गयी. पुनः विधानसभा चुनाव के दौरान 16 सितम्बर 2023 से 15 मार्च 2024 तक 06 माह की नो वर्क-नो पे अवकाश हेतु आवेदन देकर बिना स्वीकृति के चले गये थे. अब फिर डॉक्टर साहेब 01 महीने के छुट्टी पर निकल लिए.
राजनीतिक दवाब 06 डॉक्टरों ने छोड़ा सीएचसी
बताया जा रहा हैं कि अबतक 06 डॉक्टरों ने भी राजनीतिक दलों के दबाव से अपनी नौकरी छोड़कर चले गए। सीएचसी कोंटा में अभी तक डॉक्टरों और स्टॉप की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवा मिल रहा हैं, ऐसे में राजनीतिक दलों के दबाव में डॉक्टर छोड़कर जाते रहेंगे तो कैसे मरीजों का ईलाज होगा. डॉक्टर मिस्टर एंड मिस मण्डल दोनों ने भी इन्हीं कारणों से कोंटा स्वास्थ्य केन्द्र को छोड़कर चले गए. अब अगर ऐसे हालत में भी राजनीतिक बन्द नहीं होगी तो आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के दावों पर सीधे सरकार और स्वास्थ्य मंत्री पर भी सवाल उठ सकते हैं.