Chhattisgarh: अंबिकापुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज कैम्पस को विकसित करने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा पिछले दिनों 15 एकड़ सरकारी जमीन, कॉलेज प्रशासन को उपलब्ध कराया गया है और इस जमीन पर 40 से अधिक परिवार मकान बनाकर रह रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन इन परिवारों को बेदखल करने के लिए यहां पर बुलडोजर की कार्रवाई कर सकती है. वहीं दूसरी तरफ कब्जा हटाने के विरोध में स्थानीय लोगों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है.
इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए आबंटित जमीन पर 40 परिवारों का कब्जा
अंबिकापुर के डिगमा स्थित गांव में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई है, लेकिन कालेज स्थापना के बाद से इसके कैंपस का अब तक विकास नहीं हो सका है. कॉलेज को विकसित करने के लिए सबसे पहले जिला प्रशासन के द्वारा 15 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराया गया और उसके बाद अब फिर से 15 एकड़ जमीन दिया गया है लेकिन अभी जो जमीन जिला प्रशासन के द्वारा कॉलेज प्रबंधन को उपलब्ध कराया गया है उस जमीन पर स्थानीय लोगों ने पहले से ही कब्जा किया हुआ है और स्थानीय लोगों का कहना है कि उस जमीन पर वे कई पीढ़ी से रह रहे हैं. ऐसे में अगर उन्हें यहां से हटा दिया जाता है, तो वे बेघर हो जाएंगे और जीविकोपार्जन में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसी मांग को लेकर वे आज कलेक्टर के जन दर्शन में पहुंचे थे और उन्होंने गुहार लगाई है कि जिला प्रशासन के द्वारा जो जमीन कालेज को आवंटित किया गया है उसे वापस किया जाए वहीं उन्हें जमीन का पट्टा दिया जाए.
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जिला प्रशासन ने नहीं की कार्यवाही इसलिए बनी स्थिति
दूसरी तरफ विस्तार न्यूज़ की टीम ने मौके पर पहुंचकर कॉलेज कैंपस का जायजा लिया तो यहां पर पाया कि कॉलेज के आसपास कई मकान शासकीय भूमि पर बने हुए हैं और लोग खेती कर यहां जीविकोपार्जन कर रहे हैं लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर जब लोग यहां अतिक्रमण कर मकान बना रहे थे और खेत तैयार कर रहे थे तब जिला प्रशासन के द्वारा ठोस कार्रवाई कर कब्जा क्यों नहीं हटाया गया, अगर यह कब्जा पहले ही हटा लिया गया होता तो आज ऐसी स्थिति नहीं बनती.
मामले में जिला प्रशासन के तेवर सख्त हैं, अपर कलेक्टर सुनील नायक का कहना है कि लोगों की मांग है कि कब्जा न हटाया जाए लेकिन उन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है और हर हाल में अतिक्रमण हटाया जाएगा ताकि कॉलेज को विकसित किया जा सके.