Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ शासन की ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति’ और सुकमा पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ‘पूना नर्कोम अभियान’ से प्रभावित होकर आज आठ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. बताते चलें कि इन आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से एक पर 2 लाख और तीन नक्सलियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित था. यह पूरी घटना कुकानार थाने अंतर्गत की है.
बता दें कि नक्सलियों को आत्मसमर्पण हेतु प्रोत्साहित करने में सीआरपीएफ की 226 वाहिनी की अहम भूमिका रही. सुकमा पुलिस ने बताया की छत्तीसगढ़ शासन की ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति’ से अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार सुरक्षा कैंप स्थापना से मिलने वाली सुरक्षा, सुविधा और विकास से प्रभावित होकर नक्सलियों ने हथियार डालने का फैसला ले रहे हैं.
लगातार आत्मसमर्पण कर रहे हैं नक्सली
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से अमानवीय, आधारहीन, खोखली विचारधारा, नक्सलियों द्वारा किए जाने वाले षोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों के द्वारा किए जाने वाले भेदभाव एवं स्थानीय आदिवासियों के साथ होने वाली निर्मम हिंसा से त्रस्त होकर प्रतिबंधित माओवादी नक्सल संगठन छोड़कर आत्मसर्पण कर रहें हैं. इसी क्रम में महिला नक्सली वेट्टी मासे पति कवासी सोमडू जो मंलगेर एरिया प्लाटून नंबर 24 पार्टी की सदस्य थी. वेट्टी मासे के ऊपर छत्तीसगढ़ शासन ने दो लाख रुपये का इनाम की घोषणा किया था.
सागर उर्फ देवा मड़काम जो मंलगेर एरिया कमेटी सदस्य, मारोकी पंचायत डीएकेएमएस अध्यक्ष है. इसके ऊपर भी छत्तीसगढ़ सरकार ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. वहीं, महिला नक्सली सोड़ी तुलसी जो सिंगाराम आरपीसी केएमएस अध्यक्ष रही है. इसके ऊपर भी एक लाख रूपये का इनाम घोषित है. पोडियम नंदे जो बुर्कलंका आरपीसी केएएमएस अध्यक्ष रहा है और इसके ऊपर भी एक लाख का इनाम घोषित है.
चार अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण
ऐसे ही अन्य और चार नक्सलियों ने भी आत्मसर्पण किया जिसमें वेट्टी सुक्का जो कुंजेरास पंचायत मिलिशिया प्लाटून सदस्य रहा, वेट्टी हड़मा जो बडे गादम पंचायत जनताना सरकार सदस्य रहा, कवासी देवा जो बडे गादम पंचायत जनताना सरकार सदस्य रहा, और कलमू सिंचा जो सिंगाराम आरपीसी पंच कमेटी अध्यक्ष रहा ऐसे कुल आठ नक्सलियों ने आज सुकमा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है.
सभी आत्मसमर्पित नक्सली नक्सल संगठन में जुड़कर विभिन्न नक्सली गतिविधियों जैसे पुलिस गस्त पार्टी की रेकी कर हमला करना, आवागमन वाले मार्गों को खोद कर अवरूद्ध करना, शासन-प्रशासन के विरूद्ध में नक्सली पर्चा-पोस्टर लगाना, ग्रामीणों से डरा-धमका कर लेव्ही वसूली करना आदि घटनाओं में शामिल रहे हैं.