Chhattisgarh: अंबिकापुर का सरकारी मेडिकल कॉलेज भारत के उन 25 अस्पतालों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जो अब पाइलेट प्रोजेक्ट के तहत 120 किमी तक की दूरी के अस्पतालों में ड्रोन के जरिए दवाईयों की सप्लाई कर सकेंगी, जिसका सफल परीक्षण भी मंगलवार को मेडिकल कॉलेज परिसर में किया गया. ड्रोन टेक्नॉलजी के जरिए मेडिकल कॉलेज से उदयपुर के अस्पताल के मरीजों के लिए ट्रायल के लिए करीब एक किलो दवाईयां भेजी गई, जो 27 मिनट में ही 40 किमी की दूरी तय कर उदयपुर के हेलिपैड में सफल लैडिंग किया. यहां ड्रोन से दवाइयां निकालकर अस्तपाल ले जाया गया और वहां के तीन मरीजों का ब्लड सैम्पल लेकर ड्रोन से अंबिकापुर भेजा गया, जिसके बाद ब्लड सैम्पल को यहां के कर्मचारियों ने रिसिव किया. ड्रोन को आते देख अंबिकापुर के कर्मचारी झूम उठे और एक-दूसरे को सफल परीक्षण के लिए बधाई दी.
120 किमी की दूरी तक ड्रोन के जरिए दवाइयों की सप्लाई
बताया गया कि मार्च के पहले सप्ताह से ही ड्रोन के जरिए काम शुरु कर दिया जाएगा. जो आपात स्थिति में मरीजों के लिए वरदान भी साबित होगा. मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि 660 मेडिकल कॉलेज में से सिर्फ 25 कॉलेजों को ही यह तकनीक भारत सरकार के नेशनल हेल्थ मिशन ने दी है, जिसमें अंबिकापुर का मेडिकल कॉलेज भी शामिल है.
छत्तीसगढ़ में पहला मेडिकल कॉलेज जिसे मिली ड्रोन टेक्नॉलाजी
पूरे छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज ही एकलौता कॉलेज है, जिसे यह टेक्नॉलोजी मिली है. इससे यहां के मेडिकल कर्मियों में उत्साह है. बताया गया कि ड्रोन की सुविधा के लिए मरीजों को एक रुपए भी खर्च नहीं करना पड़ेगा. क्रिटिकल कंडिशन में मेडिकल कॉलेज से अनुमति के बाद संबंधित अस्पताल तक निशुल्क में दवाइयां पहुंचाई जा सकेंगी. अगले तीन महीने तक दो ड्रोन से उदयपुर के अस्पताल को ही यह सुविधा मिलेगी.
ड्रोन को उड़ाने के लिए अंबिकापुर और उदयपुर के स्वंय सहायता समूह की एक एक महिलाओं को दिल्ली में 11 दिनों की ट्रेनिंग दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने ड्रोन का सफल टेक ऑफ और लैंडिग कराया. स्वंय सहायता समूह की एक महिला अंबिकापुर में जबकी दूसरी महिला उदयपुर में रहेंगी. दवाइयों को निकालने और उसमें सैम्पल को रखकर फिर से वापस भेजने का काम उन्ही महिलाओं का होगा.
समय पर मरीजों तक दवाइयां नहीं पहुंच पाती
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ रमनेश मूर्ति ने बताया कि जाम आपात स्थिति, हड़ताल में मरिजों तक समय से दवाईयां नही पहुंच पाती है, ऐसी स्थिति में ड्रोन के जरीए दवाईयां पहुंचा कर उनका इलाज किया जाएगा. आने वाले समय में इसको और भी विस्तार किया जाएगा. जिससे पहुंच विहिन जगहों पर भी दवाईयां मरीजों के लिए पहुंच सकें.