Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के लोहारीड़ीह कांड को लेकर सियासत थम नहीं रही है.अब तक कांग्रेस इस मामले में राज्य सरकार पर हमलावर थी,लेकिन अब लोहारीडीह की घटना को लेकर जाति की सियासत शुरु हो गई है.आखिर कैसे अपराध के बीच हुई जातिगत सियासत की एंट्री.
लोहारीड़ीह कांड को लेकर हमलावर कांग्रेस, भूपेश बघेल ने की प्रेस कांफ्रेंस
लोहारीडीह के मामले में अब तक कांग्रेस ने तीन हत्याओं को लेकर सरकार पर आरोप लगाया.गांव के लोगों के साथ पुलिस हिरासत में मारपीट का मुद्दा उठाया,लेकिन अब इस मामले में जातिगत सियासत भी शुरु हो गई है.पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस कांफ्रेंस कर 167 आरोपियों और उनके खिलाफ लगाई गई धाराओं की सूची जारी की. उन्होंने कहा कि 167 में से 130 आरोपी साहू समाज के हैं. 20 लोग यादव समाज के और 8 लोग आदिवासी समाज के हैं.सभी आरोपियों के खिलाफ रघुनाथ साहू के बेटे की शिकायत पर मॉब लिंचिंग समेत गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज कर दिया गया है.उन्होंने पूछा कि क्या सरकार साहू समाज समेत अन्य समाज के 167 लोगों को फांसी पर चढ़ाना चाहती है. इस तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोहारीडीह की घटना को जाति से जोड़कर साहू समाज को साथ खड़ा करने की कोशिश की.
ये भी पढ़ें- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी के के श्रीवास्तव की जमानत याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज
दीपक बैज ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी
दूसरी ओर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने भी साहू समाज का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है.उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी चुनाव के समय खुद को साहू समाज का बताते हैं.ऐसे में जब साहू समाज के लोग संकट में हैं, तो उन्हें मदद करनी चाहिए.दीपक बैज ने मांग की है कि पीएम राज्य सरकार को निर्देशित करें कि साहू समाज के लोगों को न्याय मिले. दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस के बयानों और लेटर पॉलिटिक्स पर पलटवार किया. पूर्व सांसद सुनील सोनी ने कहा कि ईश्वर साहू के बेटे को सरेआम मार दिया गया.कोई मंत्री तक देखने नहीं गया था.बिरनपुर की घटना बहुत दर्दनाक घटना थी. बिरनपुर की घटना को लेकर भूपेश बघेल चुप थे आज राजनीति कर रहे हैं.पत्र लिखने का स्वभाव मुख्यमंत्री थे तब से है कानून व्यवस्था छत्तीसगढ़ में ठीक हो इसके लिए सुझाव दें.छत्तीसगढ़ में शांति के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं अपराध और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है.
लोहारीडीह की घटना को लेकर अब तक भाजपा और कांग्रेस के बीच वार पलटवार का दौर चलता रहा है,लेकिन अब इस मामले में जातिगत सियासत की एंट्री भी हो गई है.ऐसे में जांच की दिशा और दशा क्या होगी.कैसे लोहारीडीह के पीड़ितों को न्याय मिलेगा, इस पर निगाहें होंगी.बहरहाल यही उम्मीद की जा सकती है कि लोहारीडीह की आग में सियासी रोटी सेंकने की कोशिश कहीं फिर से गांव की अमन और शांति को खाक न कर दे.