Chhattisgarh: राजनांदगांव में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में मरम्मत कराने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री जतन योजना में अफसर और ठेकेदारों ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है. राज्य शासन द्वारा कराई गई जांच में 20 स्कूलों में मरम्मत के नाम पर घटिया काम करने की पुष्टि हुई है.
स्कूलों की मरम्मत के लिए जतन योजना के नाम पर करोड़ों फूंक
अफसर और ठेकेदारों द्वारा मरम्मत किए बगैर ही राशि आहरित किए जाने की भी शिकायतें सामने आई है. यही कारण है कि जतन के बाद भी स्कूलों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. इस मामले में कलेक्टर ने निर्माण एजेंसी आरईएस और छुरिया और डोंगरगढ़ जनपद पंचायत के सीईओ को नोटिस थमाया है. वहीं ठेकेदारों को भी नोटिस दी गई है. बता दें कि राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए मुख्यमंत्री जतन योजना की शुरूआत की थी. इस योजना के तहत राजनांदगांव की सरकारी स्कूलों में मरम्मत का काम कराने के लिए करीब साढ़े 22 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे. शिक्षा विभाग ने इस राशि को आईईएस विभाग को सौंपा था, जहां से टेंडर प्रक्रिया के बाद स्कूलों में मरम्मत का काम कराया गया था.
जांच का आदेश जारी
इस बीच कुछ स्कूलों के काम को जनपद पंचायतों के जरिये सीधे ग्राम पंचायतों को सौंपा गया था. मुख्यमंत्री जतन योजना के नाम पर अफसर और ठेकेदारों द्वारा जमकर फर्जीवाड़ा किए जाने की शिकायतों के चलते राज्य शासन के शिक्षा महकमे ने मामले में जांच के आदेश जारी किए थे. आईईएस और जनपद पंचायतों द्वारा कराए गए कामों का भौतिक सत्यापन कराया गया है. जिसमें चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. बताया जाता है कि मरम्मत के बाद भी 20 स्कूल 20 भवन में सीपेज की समस्या बरकरार है. यही नहीं कुछ स्कूलों में हाल ही में लगाई गई टाईल्स भी उखड़ चुकी है. यही नहीं जिन स्कूलों में मरम्मत किया जाना कागजों में बताया गया है, वहां ऐसी स्थिति दिखाई नहीं दी है.
मुख्यमंत्री जतन योजना के नाम पर जिले में साढ़े 22 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बाद स्कूलों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. बताया जाता है कि कुछ स्कूलों में आधा-अधूरा काम कर ही ठेकेदारों ने प्राचार्य पर दबाव बनाकर काम को पूर्ण बता दिया है. यही कारण है कि इस योजना से स्कूलों की तस्वीर नहीं बदली.