Chhattisgarh News: राजनांदगांव के सौंदर्य करण को लेकर नगर निगम द्वारा करोड़ों रुपए फूंक दिए गए, लेकिन शहर के सुंदरता पर चार चांद नहीं लग पाया. सौंदर्यीकरण के लिए किए गए कार्य देखरेख के अभाव में वर्षों से धूल खा रहे हैं, तो वहीं कई जगह पर औचित्यहीन सौंदर्य करण भी दिखाई दे रहा है. शहर की सुंदरता की दिशा में महज रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसके सौंदर्य के रखरखाव को लेकर ध्यान नहीं दिया गया. शहर का सौंदर्यीकरण किस स्तर पर हुआ है यहां किये गए सौंदर्य करण के कार्यों को देखकर समझ जा सकता है.
शहर के सौंदर्य करण के नाम पर दशकों से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन शहर का सौंदर्य बदहाली के आंसू बहा रहा है. कभी सौंदर्य करण के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया, तो कभी बेवजह किए गए कार्य से जनता के रुपए बर्बाद हो गए और शासन को भी करोड़ों का चूना लगा दिया गया। इस सौंदर्य करण में शहर के उद्यानों से लेकर कई ऐसे निर्माण कार्य है जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए.
चित्रकारी हो गई खराब
शहर के सौंदर्य करण के लिए शहर के कुछ जगहों पर चित्रकारी की गई थी जिसमें फ्लावर के पिलरों में देश और दुनिया के प्रसिद्ध स्थानों का चित्रण किया गया था. यहां पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से लेकर राजनांदगांव के प्राचीन स्मारकों को भी दर्शाया गया था, लेकिन इस चित्रकारी को संवार कर नहीं रखा जा सका, इन चित्रकारियों लोगों ने पोस्टर चिपका दिये जिससे चित्रकारी पूरी खराब हो चुकी है, अवैध पोस्टरों पर निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं शहर के चौटापाटी के समीप रेस्ट हाउस के बाउंड्री वॉल पर देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ी और नामचीन हस्तियां की तस्वीरें बनाई गई थी, वाह भी अब खराब हो चुकी है. शहर के बूढ़ा सागर परिसर में बाउंड्री वॉल बनाकर यहां भी चित्रकारी की गई थी, जो वर्तमान में खराब होकर उखड़ रही है और अधिकांश जगहों पर अवैध पोस्टर चिपके हुए हैं. बूढ़ा सागर का यह सौंदर्य करण भ्रष्टाचार की मिसाल भी बन गया था.
ऐतिहासिक धरोहर भी अछूते नही
सौंदर्य करण के नाम पर शहर के ऐतिहासिक दिल्ली दरवाजा कहे जाने वाले सुभाष द्वारा का सौंदर्यकरण भी किया गया, लेकिन इसके रखरखाव को लेकर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते इस सुभाष द्वार पर भी जगह-जगह पोस्टर चिपका कर इसके सौंदर्य को खराब कर दिया गया है.
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चौराहों पर बनाई गई प्रतिमा खा रही धूल
शहर के चौक चौराहा पर सौंदर्य करण की दिशा में छत्तीसगढ़ी, आदिवासी संस्कृति, पंथी नृत्य सहित अन्य प्रतिमाएं बनाई गई है, लेकिन इसके रखरखाव को लेकर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते इन प्रतिमाओं पर धूल जमी हुई है. वहीं शहर के महारानी लक्ष्मी बाई स्कूल के सामने सौंदर्य करण को लेकर पंथी नृत्य दल बनाया गया है, जो वर्तमान में कांटेदार झाड़ियां से ढक चुका है, इसकी साफ-सफाई को लेकर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
बदहाल उद्यान में शिवाजी पार्क
जीई रोड से शीतला मंदिर मार्ग पर सौंदर्य करण की दिशा में एक छोटा सा उद्यान बनाया गया. यहां भी लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन उद्यान में सौंदर्य करण चंद दिनों ही रह पाया इसके बाद यह उजाड़ हो गया. इस उजड़े हुए उद्यान को अब शिवाजी पार्क बना दिया गया है, लेकिन यहां पर महज शिवाजी महाराज की प्रतिमा रख दी गई है, जबकि उद्यान अब भी बदहाल है और यहां कोई आता भी नहीं है.
फव्वारा चौक का नाम ही नहीं
सौंदर्य करण को लेकर शहर में ऐसे दर्जनों निर्माण कार्य हुए हैं जो भ्रष्टाचार के भेंट चढ़कर बदहाली में पड़े हुए हैं। वर्षों पहले सौंदर्य करण की दिशा में पुराने गुरुद्वारे के बगल में फवारा लगाया गया था, जो कुछ महीने ही चला और फिर बंद हो गया. अब यहां सिर्फ फव्वारे का ढांचा ही बचा हुआ है और वर्षों से सौंदर्य करण के लिए लगा. यह फव्वारा बंद है जो अब नाम का ही फव्वारा चौक रह गया है.