Chhattisgarh: दीपावली आते ही सभी उत्साहित होकर अपने घर की सफाई शुरू कर देते हैं और घर से कचरा निकाल फेंकते हैं. यह सब मां लक्ष्मी के आगमन एवं घर को पवित्र करने के लिए करते हैं, लेकिन पहाड़ी कोरबा में अपने घर को पवित्र बनाने के लिए लोग दीपावली पर पुराने घर का त्याग कर नए घर में प्रवेश करते हैं. जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में-
अनोखी परंपरा
यह अनोखी परंपरा कोरबा जिले के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाली और राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कही जाने वाले पहाड़ी कोरबा और बिरहोर जनजाति निभाती है. वह आज भी अपने पूर्वज की रीति-रिवाजों को अपनाए हुए हैं. उनके घर पर यदि किसी का देहांत हो जाता है तो वह दीपावली पर उस घर को छोड़ देते हैं और नए घर में पूजा कर प्रवेश करते हैं. वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि परिवार में निधन होने पर वह घर को अशुद्ध मानते हैं. ऐसे में नए घर का निर्माण कर वहां प्रवेश करते हैं.
शुभ माना जाता है नए घर में प्रवेश
बिरहोर जनजाति में दीपावली पर ही नए घर पर प्रवेश करने को शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. वह इस दिन को इसलिए भी चुनते हैं क्योंकि यह प्रथा उनके पूर्वज से चले आ रहे रीति-रिवाज के अधीन है. पहाड़ी कोरबा पहाड़ों पर ही अपना निवास बनाते हैं और परिवार में देहांत होने के बाद वह उस जगह को छोड़ देते हैं. पहाड़ी कोरबा पक्के मकान का निर्माण नहीं करते और मिट्टी, छप्पर के घर में रहते हैं. पहाड़ी कोरबा जनजाति की संख्या बेहद कम है, लेकिन आज भी वे इस परंपरा को निभा रहे हैं.
बता दें कि दीयों के त्योहार दीपावली पर साफ-सफाई का भी बहुत महत्व है. पूरे घर, मकान, दुकान और अपने आसपास अच्छे से साफ-सफाई की जाती है. घर से कबाड़ और कचरा बाहर फेंकर रंगाई-पोताई भी की जाती है. इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.