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Chhattisgarh: राजनान्दगांव में गणेश विसर्जन में DJ पर लगा बैन, कलेक्टर ने जारी किया आदेश

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DJ संचालकों ने कलेक्टरों के लिए जारी किया आदेश

Chhattisgarh News: राजनांदगांव में गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इसके साथ ही यहां झांकियां भी निकाली जाती हैं. इस बार प्रशासन द्वारा झांकियों में डीजे के संचालन को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. दरअसल गणेशोत्सव के दौरान विसर्जन की रात को इस बार डीजे सिस्टम नहीं बजेगा. शहर भ्रमण के दौरान वाहनों में डीजे नहीं बंधेंगे. इसे लेकर उत्सव समितियां के आयोजकों और डीजे संचालकों में आक्रोश देखा जा रहा है. कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं एसपी मोहित गर्ग ने शनिवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में गणेश विसर्जन के मद्देनजर बैठक ली और उसके बाद यह निर्णय लिया गया है. इसे लेकर डीजे संचालक हड़ताल पर बैठ गए हैं.

राजनान्दगांव में गणेश विसर्जन में DJ पर लगा बैन

पंडाल के समीप ही ध्वनि के निर्धारित मापदंड के अनुसार ही डीजे बजा पाएंगे. नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई होगी. गणेशोत्सव समिति, शहर के विभिन्न गणेश पंडाल से निकलने वाली झांकी के सदस्य, डीजे एवं साउन्ड सिस्टम संचालकों की बैठक ली. बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है बता दें राजनांदगांव शहर में साल 1938 से झांकी की परंपरा रही है. लगातार हर साल इनका स्वरूप बदलता रहा है वही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बाद जिला प्रशासन द्वारा यह गाइडलाइन जारी की गई है जिसका एक बड़ा वर्ग पुरजोर विरोध भी कर रहा है वही एक बुद्धिजीवी वर्ग इस आदेश के समर्थन में भी खड़ा नजर आ रहा है. कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि राजनांदगांव जिला हॉकी और झांकी के लिए प्रसिद्ध है और लगभग 86 वर्ष पहले से यहां झांकी की परंपरा एवं संस्कृति रही है. ध्वनि प्रदूषण के दृष्टिगत उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है. आदेश में यह स्पष्ट है कि डीजे के माध्यम से अत्यधिक ध्वनि होने पर आम जनता को परेशानी होती है, जिसके लिए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है.

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विभिन्न राज्यों में ध्वनि प्रदूषण के कारण मृत्यु हुई है. बच्चों एवं बुजुर्गों पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है. आम जनता से भी झांकी के दौरान बजाए जाने वाले डीजे के दुष्प्रभाव के संबंध में फीडबैक प्राप्त हो रहे हैं. बहरहाल जिला प्रशासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि 55 डेसीबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए. इससे अधिक होने पर उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की अवमानना का प्रकरण बनने पर कार्रवाई की जाएगी.

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