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Chhattisgarh: डोंगरगढ़ बेंगोल फॉक्स खा रहे कचड़ा, नगर पालिका की लापरवाही से खतरे में लोमड़ियों की जान

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लोमड़ी कहा रहे कचरा

– नितिन भांडेकर

Chhattisgarh News: प्रदेश में इन दिनों स्वच्छता पखवाड़ा चलाया गया है जहाँ पर प्रदेश सहित जनप्रतिनिधि एवं जिला के एसपी कलेक्टर द्वारा स्वच्छता के नाम पर अपने हाथों में झाड़ू पकड़कर स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए दिखे थे. लेकिन राजनांदगाँव जिले के धर्मनगरी कहे जाने वाले डोंगरगढ़ से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको शहर खुले में चैन की सांस लेने पर डरा सकती है. जी हाँ नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ की बड़ी लापरवाही के चलते यहाँ की आबो हवा अब प्रदूषित होने को है जिससे इंसानों को ही नहीं वन्य जीव जंतुओं के ऊपर भी खतरा मंडराने लगा है.

डोंगरगढ़ बेंगोल फॉक्स (लोमड़ी) खा रहे कचड़ा

डोंगरगढ़ से एक ऐसी ही पड़ताल की है जिसे आप देख कर परेशान हो सकते हैं एवं पशु पक्षी प्रेमी चिंतित हो सकते हैं, हम बात कर रहे हैं डोंगरगढ़ शहर के आउटर में स्तिथ ग्राम भर्रेगाँव की जहाँ पर नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ के द्वारा शहर का पूरा कचड़ा डंप किया जा रहा है. नगर पालिका के द्वारा शहर के गंदे नालों एवं घरों से निकला सूखा व गिला कचड़ा डंप कर जलाया जा रहा है. कचड़ों के जलने से निकले जलहरीले धुओं से अब डोंगरगढ़ की धर्मनगरी की फिजायें धीरे धीरे अब प्रदूषित होने लगी है. पालिका के द्वारा घरों से निकाला गया ख़राब खाद्य पदार्थ व अन्य अनहाजेनिक चीजों की पैकेट, को डंप किया गया है जिसे जंगल एवं पहाड़ पर रहने वाले वन्य जीव बेंगाल फॉक्स (लोमड़ी ) अपने भोजन के रूप में खाने लगे हैं. यह सिलसिला कई महिनों से चल रहा है.

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कचड़ों के जलने से धर्मनगरी डोंगरगढ़ की हवा हो रही जहरीली

जिसकी सत्यता जानने जिले के पशु पक्षी वैज्ञानिक प्रतिक ठाकुर से हमारे सवांददाता ने बात करते हुए पुरे घटना की जानकारी ली. पशु पक्षी वैज्ञानिक प्रतिक ठाकुर ने लोमड़ीयों के द्वारा डोंगरगढ़ में पालिका द्वारा फेंके गए कचड़े को भोजन के रूप में खाने की बात की पुष्टी की है. प्रतिक ठाकुर ने इस पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए बताया की आम तौर पर लोमड़ी अपना भोजन चूहा, एवं पक्षी को बनाता है. लेकिन पालिका द्वारा शहर की गंदगी साफ करके नगर के आउटर में गंदगी फैलाई गयी है जहाँ पर कचड़ों में अपना भोजन ढूंढ़ते हुए चूहे सहित कई अन्य जीव जंन्तु पहुँच रहे हैं. वहीं लोमड़ी आमतौर पर चूहे को अपना भोजन बनाता है लेकिन चूहों सही अन्य पशु पक्षीयों के द्वारा अनहाइजेनिक चीजों खाया जा रहा है जिससे पशु पक्षीयों की आपस में जान खतरे में पड़ गयी है. बेसुध होकर जिम्मेदार एकतरफ स्वच्छता का ढिंढोरा पिटते दिखाई दें रहे हैं तो वहीं दिया तले अंधेरा की तर्ज पर डोंगरगढ़ शहर से लगभग चार कीलोमीटर की दुरी पर स्तिथ भर्रेगाँव में धीरे धीरे कचड़ों का अंबार लगते हुए पहाड़ बनना शुरू हो गया.

प्रशासन द्वारा कचड़ों को रिसाईकल करने अनेकों योजनाओं के माध्यम से करोड़ों लाखों रूपये खर्च करके मशीनों की खरीदारी की जाती है लेकिन जिस उदेश्य की पूर्ति के लिये मशीनों की खरीदारी की जाती है उसका उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती. लिहाजा परिणाम स्वरुप नगर में गंदगी का हालात सुधरने की बजाय और भी बद से बत्तर होती जा रही है. जिसका जीता जागता उदाहरण भर्रेगाँव पे स्तिथ ये कचड़ों का अंबार है. जो वन्य जीव जंतुओं को नुकसान तो पहुँचा ही रही है साथ ही साथ धर्मनगरी के रहवासियों की जान भी जोखिम में डाल रही है.

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