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Chhattisgarh News: जर्मनी के जिस सॉफ्टेवयर पर प्रदेश की पूरी बिजली व्यवस्था निर्भर, उसी से 20 करोड़ का घोटाला!

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छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी जर्मनी से एक करोड़ रुपए में लाए गए जिस ‘सैप’ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल पूरे प्रदेश में बिजली व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन इसमें कई गड़बड़ी सामने आई है. इस सॉफ्टवेयर में कई तरह की खामियां हैं, जिसके चलते जिले के किसी भी जोन, डिवीजन या सर्किल में कोई भी बिजली का कर्मचारी अपने बड़े अधिकारियों के आईडी-पासवर्ड का इस्तेमाल कर आर्थिक गड़बड़ी कर रहा है. रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ समेत कई जगह से इसकी शिकायतें आ रही हैं. इसलिए सॉफ्टवेयर को बदलने या इसमें सुधार की गुंजाइश को लेकर शासन को पत्र लिखा गया है. सॉफ्टवेयर में कमी होने के चलते बिलासपुर जिले में कुछ साल पहले एफपी 40,मीटर शिफ्टिंग, बिजली बिल जैसे घोटाले समेत कई तरह का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है.

10 करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है

दरअसल, इस पूरे मामले की जब विस्तार न्यूज ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि सिर्फ बिलासपुर में पिछले 6 साल में इसके चलते 10 करोड़ का घोटाला फूट चुका है. इसकी मूल वजह सैप सॉफ्टेवयर में खामियां है, जिससे कभी बिलिंग मॉड्यूल के चलते तो कभी बिल मॉडिफिकेशन का पावर देने के चलते ये गड़बड़ी हो रही है. मस्तूरी में कुछ साल पहले एफपी-40 घोटाले में डेढ़ से दो करोड़ की आर्थिक अनियमितता सामने आ चुकी है. इससे पहले नेहरू नगर में और अब बीपीएल के नाम पर छूट दिए जाने से एक करोड़ की गड़बड़ी उजागर हुई है.

कहां-किस तरह की आर्थिक अनियमितता

नेहरू नगर जोन में 1 करोड़ 9 लाख की गड़बड़ी हुई है. नेहरू नगर जोन में 3 साल पहले इस सॉफ्टवेयर में खामियों के चलते डेढ़ करोड़ का बिजली घोटाला सामने आया. साल 2019-20 में बिजली विभाग की महिला क्लर्क फर्जी लेजर में एंट्री कर रकम गबन कर देती थी. शिकायत की जांच पर 1.09 करोड़ रुपए के गबन का खुलासा हुआ. पुलिस ने महिला क्लर्क के खिलाफ धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज किया. ये बिजली बिल ऑनलाइन कंपनी के खाते में जमा तो नजर आ रहा था, लेकिन राशि एकाउंट में जमा नहीं हुई थी.

महिला जूनियर इंजीनियर ने हेल्पर पति के साथ मिलकर की गड़बड़ी 

जिले के मस्तूरी क्षेत्र में एफपी-40 के नाम पर बिजली बिल घोटाला सामने आ चुका है. यह गड़बड़ी भी दो करोड़ रुपए से ज्यादा की है, इस सॉफ्टवेयर में कमियों का फायदा उठाकर यहां की महिला जूनियर इंजीनियर ने हेल्पर पति के साथ मिलकर पहले 24 लाख रुपए की गड़बड़ी की. इसके बाद यह गड़बड़ी ढाई करोड़ रुपए पहुंच गई, यह गड़बड़ी बिजली बिल अमाउंट को छूट वाले कृषि पंपों के बीपी में जोड़कर की गई थी. इसे ही एफपी-40 का नाम दिया गया, मस्तूरी के इस गड़बड़ी को सकरी में बैठकर किसी ने उसी सैप सिस्टम से अंजाम दिया.

बिलासपुर में मीटर शिफ्टिंग के नाम पर पांच करोड़ का घोटाला 

आपको बता दें विद्युत वितरण विभाग में बीपीएल को छूट देने के नाम पर रसूखदारों को सवा करोड़ रुपए से ज्यादा का लाभ पहुंचाया गया है. पहले यह गड़बड़ी 40 लाख रुपए की थी, जिसके बाद यह मामला एक करोड़ से ऊपर जा पहुंचा. मामले में शिकायत के बाद 6 बिजली कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है और जांच चल रही है. फिलहाल किसी की जवाबदेही तय कर उसके खिलाफ गड़बड़ी नहीं हो पाई है. वहीं बिलासपुर में मीटर शिफ्टिंग के नाम पर पांच करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है. इस गड़बड़ी को साल 2016-17 में अंजाम तक पहुंचाया गया. बड़ी बात यह है कि, इस सैप सिस्टम में खामियों का फायदा उठाकर मुंगेली और बिलासपुर से बिजली के मीटर का टेंडर जारी करने और आर्थिक अनियमितता का खेल जशपुर से किया गया. जब अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आई तो उस लूप पोल को बंद करवाया गया, जो इस सिस्टम का हिस्सा था.

सॉफ्टवेयर में ऐसी-ऐसी कमियां

बिजली बिल में चिल्हर के नाम पर विषम संख्या का नहीं लेना.
रीडिंग में कहीं एक अंक भी गलत हुआ तो पूरा बीपी नंबर का बदल जाना.
किसी के घर का बिजली बिल कहीं और जाना.
किसी भी कंप्यूटर से बिल पास करने की अथॉरिटी.
बीपी नंबर, बिजली बिल से जुड़ी कई बातों की परिधि का निर्धारण नहीं.
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में एकरूपता जैसी कई कमियां.
बिजली बिल सुधारने का अधिकार जेई से अधीक्षण अभियंता तक मिल जाना.

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