Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम के गृह क्षेत्र सरगुजा संभाग के इकलौते मां महामाया शक्कर कारखाना में गन्ना बेचने वाले किसानों को गन्ना बेचने के छह माह बाद भी पैसे नहीं मिले हैं. दूसरी तरफ शक्कर कारखाना कर्ज में डूबा हुआ है. गन्ना किसानों को कब तक पैसा मिल पाएगा अधिकारी साफ तौर पर कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं. वहीं ऐसे हाल में गन्ना किसान आने वाले सालों में इलाके में गन्ना की खेती कैसे करेंगे, इस पर भी सवाल खड़ा हो रहा है.
सूरजपुर जिले में स्थित मां महामाया शक्कर कारखाना में 15000 से अधिक किसान हर साल गन्ना बेच रहे हैं। इस साल भी 80 करोड़ रुपए का किसानों ने यहां गाना बेचा हुआ है, लेकिन अभी भी किसानों का 28 करोड़ रुपए का भुगतान शक्कर कारखाना नहीं कर पाया है. अफसरों का कहना है कि किसानों को गन्ना का भुगतान इसलिए नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि शक्कर की बिक्री केंद्र सरकार की कोटा सिस्टम की वजह से एक मुश्त नहीं हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ किसान बरसात शुरू होते ही धान की खेती में जुटे हुए हैं और उनके पास खेती करने के लिए पैसे नहीं है। किसान अब शक्कर कारखाना का पैसे के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
मां महामाया शक़्कर कारखाना में 15 हजार किसानो ने इस साल
80 करोड़ रुपये का गन्ना बेचा है जिस पर सिर्फ 52 करोड़ का ही भुगतान हुआ है. किसानों का 28 करोड़ रुपये बकाया है.वहीं राज्य सरकार का 100 करोड़ रुपये कारखाना पर कर्ज है. जिसका अब तक 35 करोड़ रुपये का ब्याज तक बकाया है. दूसरी तरफ कर्ज में लदे होने के बाद भी कारखाना के दफ्तर का 50 लाख खर्च कर रिनोवेशन किया जा रहा है. इस बीच एक बार फिर शक्कर कारखाना प्रबंधन किसानों के गन्ने का पैसा देने के लिए राज्य सरकार से कर्ज लेने की तैयारी में है. इसके लिए अफसर एड़ी चोटी लगाए हुए हैं, लेकिन पहले से ही कर्ज में लदे कारखाना को सरकार से कर्ज मिल पाता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी. वही कारखाना प्रबंधन का कहना है कि केंद्र सरकार से उसे कोटा सिस्टम की वजह से हर महीने एक सीमित मात्रा में शक्कर बेचने की अनुमति मिल रही है जिससे वे पूरा शक्कर को नहीं बेच रहा पा रहे हैं और यही वजह है कि किसानों का भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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अब समझिए क्या है कोटा सिस्टम
केंद्र सरकार ने देश भर के शक्कर कारखाना में उत्पादित होने वाले शक्कर को बेचने के लिए एक नियम बनाया है जिसे कोटा सिस्टम कहा जाता है. कोटा सिस्टम में हर महीने हर कारखाना को केंद्र से अलग-अलग मात्रा में शक्कर बेचने की अनुमति मिलती है. कोटा सिस्टम नहीं होने पर शक्कर कारखाना एक साथ शक्कर बाजार में बेच देते थे और शक्कर का बाजार रेट व्यापारी बढ़ा देते थे. कोटा सिस्टम लागू होने के बाद से देशभर में शक्कर का रेट नियंत्रित हुआ है, लेकिन कोटा सिस्टम के लागू होने का नकारात्मक रिजल्ट है कि शक्कर कारखाना किसानों को पैसे के अभाव में गन्ने का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.
अब देखने वाली बात होगी कि मां महामाया शक्कर कारखाना में गन्ना बेचने वाले किसानों को आखिर कारखाना प्रबंधन कब तक गन्ने का पैसा दे पता है क्योंकि शक्कर कारखाना में अभी भी 30 करोड़ से अधिक का शक्कर जाम पड़ा हुआ है. वही पहले से ही शक्कर कारखाना पर करोड़ों रुपए के घोटाले के भी आरोप लगे हुए हैं. कारखाना के प्रबंधक मति मिंज करने की कारखाने की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण किसानों को हम गाने का पैसा नहीं दे पा रहे हैं. सरकार से एक बार फिर लोन लेने की तैयारी कर रहे हैं ताकि किसानों का गाना का पैसा दे सकें.
बता दें की दूसरी तरफ जब से शक्कर कारखाना खुला है, तब से यहां भ्रष्टाचार के भी आरोप लग रहे हैं और कई ऐसे गंभीर आरोप हैं जिसकी जांच शुरू हो चुकी है बताया जा रहा है कि शक्कर कारखाना के जिम्मेदारों ने जानबूझकर कारखाना को करोडो रुपए का नुकसान पहुंचाया है. जिसकी वजह से कारखाना कंगाल हो गया है और इसका खामियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है.