Chhattisgarh News: सुकमा जिले में तेंदूपत्ता की नकद राशि भुगतान करने की मांग को लेकर तेंदूपत्ता संग्रहकों के साथ सर्व आदिवासी समाज व कोंटा विधायक कवासी लखमा के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तेंदूपत्ता संग्रहको को नकद भुगतान करने की मांग की. विधायक कवासी लखमा ने कहा कि हमारे शासनकाल में तेंदूपत्ता संग्रहकों को नकद भुगतान किया गया था. उन्होंने कहा है कि अगर तेंदुपत्ता की राशि के नगद भुगतान को लेकर सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती है, तो उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी सहित सैकड़ों की संख्या में तेंदूपत्ता संग्राहक मौजूद थे.
तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान करें सरकार
कोया कुटमा समाज जिला अध्यक्ष विष्णु कवासी ने बताया कि सुकमा जिला में लगभग 650 गांव व लगभग 40 हजार तेंदूपत्ता संग्राहक है, चूंकि पूरे जिले में 19 बैंक है, जिसमें संग्राहकों द्वारा लेनदेन करने में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. लगभग 40-50 किमी की दूरी पर बैंक होने से आने-जाने में दिक्कत होती है, साथ ही कई खाते बंद की स्थिति में है, और कभी-कभी बैंक में लिंक फेल होने से भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसलिए इन सभी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए. सर्व आदिवासी समाज के द्वारा संविधान के द्वारा प्रदत्त अधिकार 244 के तहत 5वीं अनुसूचि के पैरा 5 (1) के अंतर्गत त्वरित निराकरण करते हुए तेंदूपत्ता राशि की नकद भुगतान किया जाए.
बस्तर संभाग के तेन्दूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक राशि का नगद भुगतान करें – कवासी लखमा
विधायक कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर संभाग के सभी जिले अति नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्र है, यहां के निवासी कम पढ़े-लिखे होने के कारण कई लोगों के पास आज भी आधार कार्ड व बैंक खाता नहीं है, नक्सल प्रभावित होने के कारण आवागमन के साधन नहीं है. कई लोगों को 50 से 65 कि.मी. दूरी तय कर आना पड़ता है, जिसमें लगभग दो दिनों का समय लगता है. जिससे लोगों का काफी परेशानियाँ होती है, कई लोगों के निवास स्थानों से बैंकों की दूरी लगभग 60 से 65 कि.मी. है, यहाँ के निवासियों के आय का प्रमुख स्त्रोत तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक राशि ही है, लोग इसी राशि से बच्चों की पढ़ाई ईलाज एवं कृषि कार्य कराते है. कई स्थानों पर विभिन्न बैंकों के कियोस्क सेंटर हैं, कियोस्क सेन्टरों में राशि भुगतान होने के कई शिकायतें आ चुकी है, उदाहरण के लिए रूपये 10 हजार के आहरण राशि में कई बार रूपये 5 हजार ही भुगतान किया जाता है, इसलिए कियोस्क सेंटरों से भुगतान करना उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण गांव के लोग पुलिस के भय से शहर नहीं आ पाते हैं, कई लोग पुलिस से डरते हैं. लोग कम पढ़े-लिखे होने के कारण राशि भुगतान में कई प्रकार की आशंकाएँ बनी रहती है, पिछले 30 वर्षों से लोगों के सतत् संपर्क में हूँ, इसलिए कई प्रकार की कठिनाईयों और परेशानियों से ज्ञात हूँ. समस्त प्रकार के परेशानियों और कठिनाईयों के दृष्टिगत रखते हुए बस्तर संभाग के सभी वन मण्डलों में तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक राशि के भुगतान केलिए समितिवार समिति बनाकर नकद भुगतान करें.