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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में शहरी बेबी केयर की तर्ज पर गांवों में खोले जाएंगे सरकारी झूलाघर, कामकाजी महिलाओं को मिलेगी राहत

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में विवाहित महिलाओं की संख्या 40 लाख से ज्यादा है. इसमें से अधिकांश महिलाएं गांव में रहती हैं. लेकिन ग्रामीण जनजीवन में माताएं घर के काम में चलते अपने बच्चों को देखभाल के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाती हैं. वहीं शहरी जीवन की बात करें तो शहरी इलाकों में तो बेबी केयर सेंटर खुले हुए हैं. इस शहरी इलाकों में रहने वाली माताओं को ज्यादा समस्या नहीं होती. पर ग्रामीण स्तर की समस्या को ध्यान में रखते हुए अब छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ी पहल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बेबी केयर की तर्ज पर झूलाघर खोलने की तैयारी की है.

छत्तीसगढ़ में 1500 झूलाघर खोलने की तैयारी

दरअसल, छत्तीसगढ़ के चुने हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों में कामकाजी महिलाओं की सुविधा के लिए आंगनबाड़ी कम क्रेच (झूलाघर) की स्थापना की जाएगी. राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 1500 झूलाघर की स्थापना करने का लक्ष्य दिया गया है. इसको लेकर महिला बाल विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी ने कहा कि झूलाघर की स्थापना के लिए गांवों में सर्वे कर बच्चों का चिन्हित किया जाएगा. आंगनबाड़ी केन्द्रों में बनाए जाने वाले झूलाघरों में कामकाजी महिलाओं के 6 माह से 6 साल के बच्चों की देखभाल की जाएगी.

महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक 

आपको बता दें कि महिला बाल विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी ने गुरुवार को इन्द्रावती भवन में समीक्षा बैठक की. इस मीटिंग में उन्होंने सभी मैदानी स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि नियमित रूप से आंगनबाड़ी केन्द्रों का भ्रमण करें और इन केन्द्रों के माध्यम से दी जा रही सुविधाओं का लाभ दिलाना सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि गंभीर कुपोषण वाले बच्चों का चिन्हांकन करके उनके पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान दें. पोषण ट्रैकर पोर्टल के माध्यम से ही इसकी निगरानी की जाए. मुख्यमंत्री बाल सन्दर्भ योजना का लाभ अधिक से अधिक बच्चों को दिलाया जाए. योजना के तहत गंभीर बीमारी दिल की बिमारी, मानसिक रूप से दिव्यांग, कटें-फटे होंठ वाले बिमारियों से प्रभावित बच्चों का चिरायु टीम के माध्यम से उच्च स्तरीय इलाज की व्यवस्था कराएं.

सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में साफ-सफाई और रंग-रोगन

इसके अलावा शम्मी आबिदी ने बैठक में कहा कि पीएम जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के बच्चों का डोर-टू-डोर सर्वे कर आंगनबाड़ी की सेवाओं से लाभान्वित किया जाए. सभी आंगनबाड़ी केंद्र में साफ-सफाई की जाए जहां रंग-रोगन की जरूरत है. वहां रंग-रोगन का कार्य कराया जाए. पोषण वाटिका तैयार किए जाएं, जहां पोषण वाटिका तैयार हैं, वहां बच्चों को पौष्टिक सब्जियां दी जाएं. इसी प्रकार जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों में विद्युती की सुविधा उपलब्ध नहीं है, उन केन्द्रों में विद्युतीकरण का कार्य कराया जाए.

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