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Chhattisgarh: जमीन मामले में दफ्तरों का चक्कर लगाते-लगाते दुनिया से अलविदा हो गए, अब बेटा लगा रहा चक्कर, जनदर्शन में पहुंचा मामला

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जनदर्शन में अपनी समस्या लेकर पहुंचे लोग

Chhattisgarh News: सरकारें चाहती है कि सभी योजनाओं का लोगों को लाभ मिले, अफसर और कर्मचारी ईमानदारी से काम करें ताकि लोगों को दफ्तर न दौड़ना पड़े लेकिन यहां उलट हो रहा है. सरगुजा के ग्रामीण इलाकों से लोग हर मंगलवार को कलेक्टर के पास दूर दराज से अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं और समस्याएं ऐसी होती हैं कि इन समस्याओं को तो गांव के सरपंच सचिव और जनपद, तहसील स्तर के अधिकारी कर्मचारी दूर कर सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं करते और उनकी लापरवाही और मनमानी का खामियाजा आम लोगों को भुगतान पड़ रहा है.

जमीन मामले में दफ्तरों का चक्कर लगाते-लगाते व्यक्ति ने छोड़ी दुनिया 

पेशी पर पेशी, तारीख पर तारीख वाली कहावत तो आपने सुन ही होगी, लेकिन जब हाई कोर्ट जैसी संस्थाएं किसी व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश कर दें. उसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी आदेश का पालन न करें तो आखिर कोई कहां जाए, सरगुजा जिले के सीतापुर इलाके में स्थित हल्दीसांड निवासी दुबराज के पिता भूखा, जमीन के मामले को लेकर अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान जबलपुर हाईकोर्ट गए और वहां से 1978 में कोर्ट ने फैसला दिया की भूखा के नाम पर जमीन दर्ज किया जाए, आज 45 साल से अधिक का वक्त गुजर चुका है लेकिन इसके बाद भी न तो भूख के नाम पर जमीन दर्ज किया गया और न ही उसके बेटे दुबराज के नाम, जबकि भूखा दफ्तरों का चक्कर लगाते-लगाते इस दुनिया से अलविदा हो चुका है और अब उसका बेटा दुबराज राजस्व अधिकारियों के दफ्तर में चक्कर लगा रहा है. वे बस में सवार होकर अपनी पत्नी के साथ कलेक्टर के पास मिलने पहुंचे थे, इतना ही नहीं वह घर से दोपहर का खाना भी बांधकर चले थे.

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दिव्यांग को नहीं मिल रहा विकलांग वाला पेंशन

थादेउस कुजूर एक हाथ से दिव्यांग हैं, जन्म से ही दिव्यांगता को झेल रहे हैं. वो मजदूरी भी करना चाहते हैं तो लोग उन्हें मजदूरी पर नहीं रखते हैं क्योंकि एक हाथ नहीं है और इसीलिए वे चाहते हैं कि सरकार की तरफ से विकलांगों को दिए जाने वाले पेंशन की राशि उन्हें भी मिले लेकिन वे नगर निगम से लेकर तमाम अधिकारियों का चक्कर लगा रहे हैं पर अब तक उन्हें पेंशन नहीं मिल सका और यही कारण है कि वे पैदल ही कलेक्टर के जन दर्शन में पहुंचे, लेकिन अब अधिकारी उन्हें कह रहे हैं कि जब तक गरीबी रेखा का सर्टिफिकेट नहीं होगा तब तक उन्हें विकलांग वाला पेंशन नहीं दिया जा सकता. वही पीड़ित का कहना है कि भगवान ने मुझे ऐसी सर्टिफिकेट दे दी है जो पूरा दुनिया देख रहा है तो आखिर ऐसे सर्टिफिकेट की क्या जरूरत है.

कोई जाति-निवास नहीं बनने पर पहुंचा कलेक्ट्रेट

दरिमा क्षेत्र के जयपुर निवासी रामलाल, कलेक्टर के पास इसलिए पहुंचे क्योंकि उनके नाती पोते का निवास और जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है। गांव का पंचायत सचिव जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र बनाने के दस्तावेजों को तैयार नहीं कर रहा है इसकी वजह से कोई परेशान होकर कलेक्टर के पास पहुंचे और कह रहे हैं कि अगर यह प्रमाण पत्र नहीं बनेंगे तो आखिर उनके नाती पोते स्कूल में कैसे पढ़ेंगे क्योंकि स्कूल में ए सर्टिफिकेट आगे की पढ़ाई के लिए जरूरी है सुन लीजिए इनका भी दर्द क्या कह रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय की सरकार और कलेक्टर ऐसे लापरवाह और मनमानी करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को कई बार चेतावनी दे चुके हैं और अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इस रिपोर्ट को देखने के बाद लापरवाह अफसर सुधरेंगे और आम जनता को इस तरीके से दफ्तर दफ्तर का चक्कर नहीं लगाएंगे उनसे रिश्वत नहीं मांगेगे और उनका काम करेंगे.

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