Chhattisgarh News: एक बार फिर खैरागढ़ जिले की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव मूढ़ीपार के छात्र आज अपनी पढ़ाई छोड़ जिला मुख्यालय पहुँचे थे, वजह थी स्कूल की शिक्षिका दामिनी सिंह के द्वारा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार एवं धमकी देने के साथ-साथ अपनी मनमानी करती थी. 12वीं की छात्रों ने बताया कि दामिनी सिंह पर स्कूल में जीव विज्ञान की पढ़ाई करवाने का ज़िम्मा है, लेकिन वो विद्यालय आती ही नहीं, इस नए शिक्षा सत्र में तो वह केवल दस बारह दिन ही स्कूल आती हैं. और जिस दिन स्कूल आती है उस दिन बच्चों को डाँटती और मारती भी हैं. बता दे की वह बच्चों को प्रायोगिक परीक्षा मे फेल कर देने की धमकी देती हैं.
छात्रों ने कलेक्टर से की शिकायत
मैडम की तानाशाही से परेशान छात्र आज जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय खैरागढ़ भी पहुँचे हुए थे, किन्तु जिला शिक्षा अधिकारी कलेक्टर द्वारा आयोजित समय सीमा की बैठक में थे, जिसकी जानकारी लगते ही छात्र छात्रायें जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से एक किलोमीटर पैदल चलकर सीधे जिला मुख्यालय में पहुँच गए. और सीधा कलेक्टर से ही अपनी पूरी बात कही.
बच्चों की भीड़ जिला कार्यालय में देख क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य और सभापति विप्लव साहू भी कलेक्ट्रेट पहुँच गए. कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा को जैसे ही बच्चों के जिला कार्यालय पहुचने की जानकारी मिली वैसे ही उन्होंने तत्काल बैठक से बीईओ नीलम राजपुत एवं जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी बच्चों की समस्या का निराकरण करने बाहर भेजा. आनन फानन में खैरागढ़ जिले के शिक्षा विभाग के डीईओ और बीईओ भागते हुए बाहर आए और कलेक्टर का गुस्सा बच्चों पर पूरा उतार दिया. जिससे डरे सहमे बच्चे फूट फूट कर वहीं रोने लगे.
ये भी पढ़ें-इस्लाम धर्म के पैगंबर के खिलाफ विवादित बयान पर मुस्लिम समाज में आक्रोश, कलेक्ट्रेट में सौंपा ज्ञापन
SDM ने बच्चों को समझाकर भेजा वापस
बच्चों को रोता देख खैरागढ़ एसडीएम टंकेशरप्रसाद साहू बच्चों के पास पहुँचे और उनको समझाकर स्कूल वापस भेजा। स्कूली बच्चों ने एसडीएम को शिक्षिका दामिनी सिंह के द्वारा किये जा रहे दुर्व्यवहार एवं मनमानीयों को रोते बिलखते हुए अवगत करवाया. जिस पर एसडीएम ने उन्हें तत्काल कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है. वहीं इस पूरे मामले में जिला शिक्षा विभाग के तमाम जिम्मेदार अधिकारी मीडिया से छिपते नज़र आ रहे हैं जबकि मामला बच्चों की शिक्षा से जुड़ा हुआ है. भारत के भविष्य कहे जाने वाले ये छात्र आज रो रो कर अपने भविष्य को सँवारने की माँग कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार मौन हैं.