Chhattisgarh News: जिस तरह घड़ी का कांटा सुबह, दोपहर और शाम होने का एहसास कराता है, ठीक उसी प्रकार नक्षत्रों की आकाशीय घड़ी में जब सूर्य रोहिणी के सामने आता है, तो वह मध्यभारत मे तीक्ष्ण गर्मी का समय होता है. रोहिणी नक्षत्र का पूरी पृथ्वी के तापमान से कोई संबंध नहीं होता है यह बात नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया. इसमें सारिका घारू ने बताया कि जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है जबकि सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का स्टार रोहिणी आ जाता है तो इससे पहले नौ दिन नौतपा कहलाते हैं. सारिका ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी के लिए हर साल 25 मई को सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आ जाता है. सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की यह घटना सन 1000 में 11 मई को हुआ करती थी. संभवतः 1000 साल पहले इस अवधि में भारत के मध्य भारत में गर्मी होने से इसे नौतपा नाम दिया गया. वर्तमान मे यह घटना 25 मई को आरंभ होने लगी.
क्या रोहिणी तारा का है गर्मी से संबंध?
सारिका ने बताया पृथ्वी के किसी भाग पर गर्मी वहां पड़ रही सूरज की सीधी किरणों के कारण होती है, गर्मी में नक्षत्र की भूमिका रहती तो मकर रेखा में स्थित देशों में इस समय दिन का तापमान कम क्यों रहता. इस समय आस्ट्रेलिया में दिन का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस वहीं मालदीप में 32 डिग्री के आसपास है. रोहिणी, पृथ्वी से 65 लाईट इयर दूर है, वो केवल किसी एक दो देश के तापमान बढ़ाने का काम क्यों करेगा. सूरज का रोहिणी में आना केवल उस समय को एक घड़ी की तरह बताता है जब मध्य भारत में गर्मी पड़ती है. इसलिए रोहिणी को समझे घड़ी का कांटा, पूरे पृथ्वी का गर्मी से नहीं है नाता.