Chhattisgarh News: आज देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनाई जा रही है. वहीं छतीसगढ़ में भी इसकी धूम है, रायपुर के इस्कॉन मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर तरह-तरह के आयोजन किये जा रहे है.
इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम
टाटीबंध स्थित इस्कॉन मंदिर परिसर को कोलकाता के लाल गुलाबों से सजाया गया है. राधारासबिहारी के श्रीविग्रह का श्रृंगार मुंबई और वृंदावन से लाए वस्त्रों से किया जाएगा. मंदिर में 27 अगस्त तक जन्माष्टमी की धूम रहेगी. फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता एवं भक्ति नृत्य, भजन संध्या, शील प्रभुपाद व्यास पूजा महा-महोत्सव और श्री राधाष्टमी महामहोत्सव जैसे अनेक अनुष्ठान और कार्यक्रम होंगे.
समता कालोनी राधाकृष्ण मंदिर
समता कालोनी स्थित राधा-कृष्ण मंदिर में हरियाली तीज से आकर्षक झूला सजाने का सिलसिला चल रहा है. जन्माष्टमी उत्सव का शुभारंभ प्रातः 9 बजे 101 लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा. दोपहर 12 बजे से प्रतिमा श्रृंगार दर्शन और शाम चार बजे कृष्ण झांकी दर्शन प्रारंभ होगा. आधी रात को जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। दूसरे दिन 27 अगस्त को दोपहर एक बजे से रानी सती दादी का मंगल पाठ प्रारंभ होगा जो शाम तक चलेगा.
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में निकाली गई झांकी
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सुबह से ही मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखी जा रही है, भक्त सुबह से ही मंदिरों में पूजा पाठ के लिए पहुंच रहे हैं, आज के दिन राधा कृष्ण मंदिरों में विशेष श्रृंगार और पूजा पाठ का अलग ही महत्व रहता है। वही मटकी फोड़ और यादव समाज के लोगों के द्वारा झांकी भी निकाली जाती है और रात 12:00 का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है, सुबह से लेकर रात तक भजन संगीत का सिलसिला शुरू रहता है. साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भंडारे प्रसाद वितरण सहित विशेष प्रकार के जगह-जगह आयोजन किया जाता है और कृष्ण जन्मोत्सव के जयकारे से पूरा नगर गुंजायमान रहता है.
एमसीबी जिले कई तरह के हुए आयोजन
एमसीबी जिले के अंतर्गत आने वाले श्री काशी ग्रुप आफ एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित आईईआरसी द फ्लाइंग किड्स स्कूल में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस पावन अवसर पर विद्यालय ने विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और झांकियों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के दिव्य लीलाओं का प्रदर्शन किया गया.
विद्यालय परिसर एक अद्भुत यज्ञभूमि में परिवर्तित हो गया हो, जहाँ बालक-बालिकाएँ राधा-कृष्ण की दिव्य वेशभूषा में सुसज्जित होकर विविध गतिविधियों में भाग लिए। राधाकृष्ण और गोपियों की रस्साकशी , दही हांडी, सेब और जलेबी रेस, की परंपरागत खेलों ने उत्सव को और भी विशेष बना दिया. कार्यक्रम की आत्मा रहे विभिन्न झांकियों में भगवान श्री कृष्ण के कई अवतारों का मनमोहक प्रदर्शन हुआ। इनमें श्री कृष्ण के विष्णु अवतार, नरसिंह अवतार और वामन अवतार की झांकियाँ प्रस्तुत की गईं. रामायण से संबंधित राम, लक्ष्मण और सीता के वन गमन की झाँकियाँ, अशोक वाटिका के त्रिजटा भी सीता संग दर्शनीय रहीं। इसके अतिरिक्त, श्री गणेश जी, शिव पार्वती,रिद्धि सिद्धि, कार्तिके, काली, लक्ष्मी, हनुमान, कृष्ण सुदामा और सुरपनाखा, कंश दरबार, लंकापति रावण, भिभिषण, कंश कारावास, गोवर्धन पर्वत आदि के दिव्य रूपों की झांकियाँ भव्य तरीके से प्रस्तुत की गईं तथा कृष्ण जी के महाभारत लीला जैसे द्रौपदी चीरहरण, अर्जुन को गीता का उपदेश, गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, पांच पांडव, आदि को भी झांकी के रूप में दिखाया गया. महोत्सव में बच्चों के माता-पिता और अतिथियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की दिव्यता को और बढ़ा दिया.