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Chhattisgarh: एल्यूमिना प्लांट हादसे में गई जान, बेटियों व बहन की शादी हो सके इसलिए बिहार से मजदूरी करने आए थे मजदूर

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मृतक के परिजन

Chhattisgarh: सरगुजा जिले के सिलसिला गांव में मां कुदरगढ़ ही एल्युमिना रिफाइनरी प्लांट में चार मजदूरों की मौत के बाद आज उनके शवों को उनके गृह ग्राम के लिए रवाना किया गया इस दौरान मृतकों के परिजनों ने बताया कि वे अपना पेट पालने और बेटी बहन की शादी की तैयारी के लिए पैसा कमाने फैक्ट्री में काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें इनका तनिक भी अंदेशा नहीं था कि यहां काम करने के दौरान उनकी जान चली जाएगी, तो कई मजदूर बेटी और बहन की शादी के लिए मजदूरी कर रहे थे लेकिन जान चली गई.

बहन-बेटियों की शादी के लिए मजदूरी करने बिहार से आए थे मजदूर

बिहार के गया जिले के निवासी रामेश्वर माझी अपने भाई के साथ सिलसिला के मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना रिफाइनरी प्लांट में इसलिए काम करने आए थे क्योंकि उन्हें अपनी बहन की शादी करनी थी यहां रामेश्वर अपने छोटे भाई के साथ काम कर रहे थे काम करते हुए उन्हें हफ्ते भर ही हुआ था और हादसा हो गया. रामेश्वर के भाई बताते हैं कि हमने घर में सलाह किया था कि बहन की शादी करनी है इसलिए कमाने के लिए दोनों भाई को घर छोड़कर बाहर जाना पड़ेगा और इसीलिए हम दोनों कमाने के लिए घर से निकले थे लेकिन बड़े भाई की जान चली गई है. वे सरकार से कह रहे हैं कि उन्हें या तो छत्तीसगढ़ या फिर बिहार की सरकार मुआवजा दिए और फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कार्रवाई करें.

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बिहार के गया जिले के ही रहने वाले करणवीर भी यहां मजदूरी इसलिए कर रहे थे क्योंकि उनकी सात बेटियां है और उसमें से दो बेटी शादी करने लायक हो गई थी, वे चाह रहे थे की बेटियों की शादी करें लेकिन पैसा नहीं था तो सिलसिला के रिफाइनरी प्लांट में मजदूरी पहुंचे थे लेकिन उनका सपना यहां टूट गया और खुद की जान चली गई.

सीएम विष्णुदेव साय ने दिए जांच के आदेश

मां कुदरगढ़ी एलमुना रिफाइनरी प्लांट में हादसे को हुए 24 घंटे से अधिक का समय गुजर चुका है और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पूरे घटना की जांच करने का आदेश दे दिया है. वहीं दूसरी तरफ सवाल उठ रहा है कि आखिर कारखाना प्रबंधन जिन मजदूरों को मजदूरी में रखा हुआ था उनका बीमा पहले क्यों नहीं कराया गया था और आखिर श्रम कानून का यहां उल्लंघन क्यों किया जा रहा था क्योंकि कारखाना के भीतर काम करने वाले मजदूर बिल्कुल भी प्रशिक्षित नहीं थे यहां मजदूरों को हर महीने ₹15000 दिया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ इस हादसे में जिन मजदूरों की मौत हुई उनमें दो मध्य प्रदेश के भी रहने वाले थे और उनके परिजन भी आज उनका शव लेकर अपने गृह गांव के लिए रवाना हो गए.

उठ रहे कई सवाल, जिम्मेदार नहीं दे रहे जवाब

सवाल तो कई है लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं है और ऐसी ही लापरवाही की वजह से प्लांट में हादसा हो गया अगर जिम्मेदार अधिकारियों ने समय-समय पर कारखाना की मॉनिटरिंग की होती तो शायद ऐसी घटना भी नहीं हुई होती और बेगुनाह मजदूरों का परिवार बिखरने से बच गया होता, लोगों की खुशियां नहीं छिनी होती, लेकिन जिम्मेदार हैं कि लापरवाही उनके रग रग में दौड़ रहा है और घर छोड़कर खाने कमाने निकले लोगों की जान चली गई.

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