Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने अपने चिरपरिचित अंदाज के इतर अब नक्सलियों से बातचीत करने की बात कही है. वहीं कांग्रेस ने भाजपा नेता और गृह मंत्री विजय शर्मा के इस बयान पर तंज कसने में जरा भी देरी नहीं की.
छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या बड़ी समस्याओं में से एक मानी जाती है. पिछले कुछ वर्षों में नक्सली गतिविधियां कम हुई हैं, लेकिन आज भी नक्सल उन्मूलन के लिए चलाये जाने वाले अभियान शत प्रतिशत सफल हैं, ये कह पाना उचित नहीं होगा. तुलनात्मक रूप से जुलाई से दिसंबर के दौरान 2022 में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच 29 बार मुठभेड़ हुई, जबकि वर्ष 2021 में मुठभेड़ों की संख्या 26 रही.
वर्ष 2022 में इसी अवधि में जहां सुरक्षा बलों ने 16 माओवादियों को मार गिराया था. वहीं वर्ष 2021 में बस्तर में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ों में 23 माओवादियों को मार गिराया.
आंकड़ों पर नजर डालें तो माओवादियों ने 2021 में जुलाई-दिसंबर के बीच क्रमश: 11 और 2022 में 15 नागरिकों की हत्या की है. पिछले दो वर्षों में जुलाई-दिसंबर के बीच आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों की संख्या 2021 में 324, तो वर्ष 2022 में 128 रही.
गृहमंत्री के बयान में कितना दम?
भाजपा के पिछले कार्यकाल में भी नक्सलियों के खिलाफ जंगलों में अभियान तेज किये गए थे. हालांकि, अब गृह मंत्री विजय शर्मा के बयान के बाद सियासत गरमाई हुई है.
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— Vistaar News (@VistaarNews) January 16, 2024
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि वो नक्सलियों से वीडियो कॉल के जरिए भी बात करने को तैयार हैं. उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, “नक्सली अगर सामने नहीं आ सकते तो मैं वीडियो कॉल से बात करने तैयार हूं. नक्सली पहले विकास अवरुद्ध करने के कारण बताएं. नक्सली लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं. नक्सली क्षेत्र के लोग भी फिल्मों में हीरो बनना चाहते है”.
छत्तीसगढ़ में इसके पहले भी कुछ दफे नक्सलियों और सरकारों के बीच बातचीत स्थापित करने के प्रयास किये गए हैं. लेकिन हर मर्तबा किसी न किसी कारण से ये पहल कभी आगे नहीं बढ़ पायी. पिछली सरकार में भी नक्सलियों से बातचीत की कोशिश की गयी थी लेकिन नतीजा नहीं निकला.