Chhattisgarh News: दंतेवाड़ा-बीजापुर की सीमा पर बसे मुदबेंडी गांव का एक ग्रामीण युवक जिसकी उम्र अभी सिर्फ 18 साल थी. वह नक्सलियों के प्लांट किए गए प्रेशर आईईडी की चपेट आ गया, जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई है.
प्रेशर आईईडी की चपेट आने से युवक की मौत
यह घटना तब घटी जब 18 साल का गड़िया वनोपज संग्रहण के काम से अपने घर से महज आधे किलोमीटर दूर जंगल गया हुआ था. दरअसल, बस्तर के एक बड़े भू-भाग में रहने वाला आदिवासी समुदाय वनोपज संग्रहण करके अपनी ज़िंदगी गुजारता है, और अपनी आजीविका के बहुत सीमित संसाधनों में से एक जिसे बस्तर का हरा सोना कहा जाता है, यानि तेंदू के पत्ते. तेंदूपत्ते को बांधने के लिए रस्सी काटकर लाने के लिए जब गड़िया जंगल गया हुआ था, तो वह नक्सलियों के लगाए प्रेशर आईईडी की चपेट में आ गया. एक धमाका हुआ और गड़िया के दोनों पैर टूट गए.
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20 अप्रैल को हुई थी घटना
गड़िया के साथ एक और ग्रामीण भी था, लेकिन इस घटना से डरा हुआ वह ग्रामीण जंगलों में ही भाग गया. यह घटना 20 अप्रैल को घटी थी और इसके अगले दिन भागा हुआ ग्रामीण अपने गांव मुदबेंडी वापस आया और ग्रामीणों को पूरी घटना बताई. ग्रामीण जंगलों की तरफ कूच कर गए लेकिन घायल युवक गड़िया की स्थिति तब तक काफी गंभीर हो चुकी थी. पूरे 24 घंटों से लगातार युवक के कटे हुए पैरों से खून बह रहा था, जब उसे गांव वापस लाया गया और मोबाइल नेटवर्क तलाशकर मदद के लिए एंबुलेंस बुलाई गई, इसके पहले कि एंबुलेंस रवाना भी होती गड़िया की जान जा चुकी थी.
बता दें कि गड़िया वह नवयुवक था, जिसकी 6 महीने की दुधमुंही भांजी मंगली इसी साल के पहले दिन यानि 1 जनवरी 2024 के दिन क्रॉस फायरिंग में मारी जा चुकी थी.
एक ही घर से सिर्फ 4 महीनों में 2 मासूमों की मौत हो गई.