Chhattisgarh News: केंद्र सरकार ने मरीजों की सहूलियत को देखते हुए दो साल पहले पूरे देश में ईएसआईसी के 23 अस्पताल और 62 डिस्पेंसरी चलाने की मंजूरी दी. छत्तीसगढ़ राज्य में एकमात्र बिलासपुर में 100 बेड अस्पताल का चयन हुआ. इसके अलावा हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, गोवा, गुजरात और तमिलनाडु जैसे जगह चिन्हित किए गए. बड़ी बात ये कि आज तक कहीं भी इसका ठीक तरह से इसका निर्माण शुरू नहीं पाया है. कहीं कागजी औपचारिकताएं तो कहीं जमीन और जगह की तलाश जारी है. इस वजह से उन लाखों कर्मचारियों को ऐसे अस्पताल का फायदा नहीं मिल रहा, जिन्हें उनकी जरूरत है.
बिलासपुर में बनना है 100 बेड को अस्पताल
दरअसल कर्मचारी राज्य बीमा निगम सेवाएं यानी ईएसआईसी के डायरेक्टर ने इसकी सूचना रीजनल डायरेक्टर को भेजी है. इन्होंने ईएसआईसी कॉरपोरेशन की ओर से मंजूर हुए उन स्थलों की जानकारी दी है. सूची में कहां कितने बेड का अस्पताल और डॉक्टरों की संख्या होने का जिक्र है. उन्होंने बताया है कि इसकी स्वीकृति 1 दिसंबर 2020 को दे दी गई है. असिस्टेंट डायरेक्टर की तरफ से इसके संदर्भ में पूछा गया है कि, राज्य की सरकारों ने इसके संदर्भ में अपनी प्रक्रियाएं कहां तक बढ़ाई है. इधर,बिलासपुर में जमीन की तलाश पिछले आठ महीने से चल रही है. श्रम विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. फिलहाल चकरभाठा क्षेत्र में इसे स्थापित करने पर बातचीत जारी है.
अस्पताल के लिए इन 23 जगह का चयन
ईएसआईसी अस्पताल के लिए जिन 23 स्थानों का चयन किया गया है, उनमें आंध्रप्रदेश का नैलोर, गोवा में मूलगांव, गुजरात में सानंद, हरियाणा में हिसार, सोनपत, अंबाला, रोहतक, कर्नाटक में तुमकुर, उदुपी, मध्यप्रदेश में जबलपुर, महाराष्ट में पालघर, सतारा, पेन, जलगांव, चकन और पनवेल का चयन हुआ है और ओडिशा में झारसगुड़ा का चयन किया गया है.
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यहां बनेंगी डिस्पेंसरी
डिस्पेंसरी का चयन सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में किया गया है. यहां 45 जगह ये बनने हैं. इनमें उरली कंचन, बारामाती, यदरव, लोनावला, शिरुर, रंजनगांव, अलांदी, शिवपुर, कोपोली, उड़ान, नवा सेवा, वासई, वल्साड़, सरवन,नेराई जैसे जिले में शामिल किए गए हैं.
अस्पतालों में ठीक तरह से नहीं मिल रहा है इलाज
शहर और दूसरे राज्यों के वे लाखों सरकारी निजी कर्मचारी जो ईएसआईसी के दायरे में आ रहे हैं, उन्हें अस्पतालों में ठीक तरह से इलाज नहीं मिल रहा. जिन स्थानों पर डिस्पेंसरी है वहां दवाओं की कमी आम है. कुछ जगह पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने निजी अस्पताल से टाइअप किया है, वहां भी समय पर बजट नहीं भेजा जा रहा है. जिन अस्पतालों में लोगों ने अपनी बीमारियों का इलाज कराया है. वह भी पैसों के लिए भटक रहे हैं. ईएसआईसी दफ्तर में बीमारियों के पैसे को क्लेम करने के बाद उन्हें इसे पाने 8 से 9 महीने लग रहे हैं.