Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में हत्या, हादसा,आगजनी जैसी घटनाओं के बाद शव के पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को भटकना पड़ रहा है. उन्हें 10 से 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि, उनके क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर यह व्यवस्था नहीं है. डॉक्टर मौजूद है संसाधन भी लेकिन स्टाफ की कमी के चलते मौत के बाद भी बॉडी को सिम्स, जिला अस्पताल लाना परिजनों की मजबूरी बन चुकी है. इन स्वास्थ्य केंद्रों पर पोस्टमार्टम नहीं होने का एक दूसरा कारण इनके आसपास थाने का नहीं होना भी है. इनके आसपास बनी पुलिस चौकियां पर इसकी औपचारिकताएं नहीं होना इसकी बड़ी वजह है. यही वजह है कि, कई जगह शव का पोस्टमार्टम करने की मांग उठने लगी है.
शव के पोस्टमार्टम के लिए भटक रहे परिजन
जिले के जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी शवों को पोस्टमार्टम करने की सुविधा नहीं है, उनमें बोड़सरा, देवरीखुर्द, लखराम, सिरगिट्टी, आमागोहन, टेगनमाडा, बेलगहना, केंदा, करगीकला, केवची, बस्ती बगरा, भर्रीडांड, जोंधरा, सीपत, पचपेड़ी, नवागांव, खोंदरा, लूतरा और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाली शामिल हैं. इसके अलावा कोटा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी मोहदा और चपोरा के ग्रामीणों से अपने क्षेत्र में शव का पोस्टमार्टम करने की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है. उन्हेांने अपनी समस्याएं बताकर लिखा है कि, उनके यहां इसके कारण 10 से 15 किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा है.
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मरच्यूरी और स्वीपर की कमी के चलते समस्या
जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शव का पोस्टमार्टम शुरू किया जा सकता है, लेकिन यहां मरच्यूरी और स्वीपर नहीं होने के कारण यह समस्या पैदा हो रही है. स्वास्थ्य विभाग में स्वीपर का पद नहीं है. जिन केंद्रों में पोस्टमार्टम की सुविधा शुरू करवाई गई है. वहां भी बाहर से स्वीपर बुलाए जा रहे हैं. इसके चलते ही दिक्कतें हैं.
इस तरह की दिक्कत उठा रहे परिजन
केस 1- एक दिन पहले बिलासपुर रतनपुर रोड पर सेंदरी के पास एक सड़क दुर्घटना हो गई. इस हादसे में 7 साल के बच्चे की मौत हो गई. पहले तो घटना के बाद की तकलीफ फिर पोस्टमार्टम के लिए 10 किलोमीटर का सफर. परिजनों ने मिलकर बच्चों की बॉडी को सिम्स लाया, और यहां कई औपचारिकताओं के बाद बच्चे का पीएम हो पाया.
केस 2- कोनी थाने के निरतू में रहने वाली महिला ने अज्ञात कारण से जहर खा लिया. परिजन उसके शव को जिला अस्पताल ले गए, लेकिन यहां भी लंबी लाइनों के कारण पोस्टमार्टम में थोड़ा समय लगा. यहां परिजनों ने 15 किलोमीटर का सफर तय कर किया था.