Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स में शुक्रवार का दिन था और दोपहर के 1 बज रहे थे. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से 27 साल का एक व्यक्ति हाथ और पैरों पर लोहे की बेड़ियों से बंधा निकल रहा था. परिजन भी उस मरीज़ के साथ थे लेकिन उस व्यक्ति के पास न स्ट्रेचर की सुविधा थी और न ही एंबुलेंस की. मरीज़ के हाथ और पैरों पर लोहे की जंजीरें जकड़ी हुई थी इसलिए वह जमीन से पैरों को सरकाते चल रहा था.
10 साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ है जतिन
विस्तार न्यूज़ को जब यह नज़ारा दिखा तब हमारे संवाददाता ने उनके माता-पिता से बात-चीत की, पिता ने बीमार युवक का नाम जतिन साहू बताया, जतिन के पिता ने बताया वे रायपुर के कोलार के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि 10 साल हो गए, उनका बेटा मानसिक रूप से अस्वस्थ है और इलाज के लिए भटक रहा है. इसी अवस्था के चलते उनका बेटा कई बार अपने परिजनों के ऊपर हमले कर चुका है. हमले में बेटे ने जान लेने की भी कोशिश की है. जिसके कारण उन्होंने अपने बेटे के हाथ और पैरों पर लोहे की बेड़ियां बांध रखी है. वे मजबूर हैं उनके पास कोई चारा नहीं है. वे बिलासपुर सिम्स पहुंचे थे, इस उम्मीद के साथ की बेटे को यहां इलाज मिलेगा लेकिन यहां भी उन्हें भटकना पड़ रहा है.
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पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासन तक को पत्राचार,कोई नतीजा नहीं
जतिन के पिता बताते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों की समस्या को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा प्रशासन तक को पत्र लिखा है. लेकिन अभी तक उनके बच्चे का इलाज नहीं हो सका है. जतिन तीन बच्चों में सबसे बड़ा है और उसकी मानसिक स्थिति काफी दिनों से खराब है इसलिए वह आए दिन ऐसी हरकतें करता है जिससे परिजन परेशान होते हैं. यही कारण है कि जतिन के हाथ और पैरों पर लोहे की बेड़ियां जकड़ना उनकी मजबूरी बन चुकी है. उन्हें उम्मीद है कि देर सवेर शासन प्रशासन की मदद मिलेगी और जतिन को इलाज भी मुहैया कराई जाएगी, नहीं तो यूं ही जानवरों से जिंदगी गुजारना जतिन के जीवन का हिस्सा बन जाएगा.