-मनोज सिंह
Chhattisgarh News: जिले में वन तस्कर कीमती लकड़ी की बेधडक़ कटाई कर रहे हैं. तस्करों के द्वारा खुलेआम सुकुलदैहान से मुसरा के बीच सैकड़ों पेड़ काटकर सड़क किनारे रखा गया है. जितने भी वृक्ष आसपास लगे हैं, उसको भी काटने की पूरी तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि उस पेड़ को गोल काटकर छोड़ दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन इस तरफ अनदेखी कर रहा है. वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोग पैसे की लालच में कीमती पेड़ों को भी काट रहे हैं. जंगल में कई औषधीय युक्त कीमती पेड़ हैं, उसे भी नहीं छोड़ रहे. सड़क के किनारे खेत में लगे कहुआ, रिया और बबूल के पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई की जा रही है. इसकी वजह है कि प्रशासन कुम्भकर्णीय नींद में सोया है. प्रशासन की लापरवाही के चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है. इसके बाद भी माफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहा है.
तस्करों के रडार पर सैकड़ों पेड़
तस्करों के द्वारा खुलेआम सुकुलदैहान से मुसरा के बीच सैकड़ों पेड़ काटकर सड़क किनारे रखा गया है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन इस तरफ अनदेखी कर रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन तस्करों को प्रशासन का संरक्षण तो प्राप्त नहीं ? इन पेड़ों में अधिकतर ऐसे पेड़ हैं, जिन्हें काटने की अनुमति ही नहीं है, लेकिन तस्करों के हौसले इतने बुलन्द हैं कि वे प्रशासनिक अमलों को धत्ता बता रहे हैं. तस्करों के हौसले बुलंद होने का कारण यह भी है कि प्रशासन भी इन पेड़ों की कटाई करने वाले लोगों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. आए दिन जंगलों और खेतों से कई वाहन लकड़ी बाहर भी भेजी जा रही है.
गांवों में भी पेड़ों की कटाई
गांवों से लगातार हरे-भरे पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे पर्यावरण संकट बढ़ रहा है. माफियाओं द्वारा कीमती पेड़ों की कटाई कर जंगलों को वृक्ष विहीन बनाने का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है. पेड़ों की अवैध कटाई से आने वाले दिनों में प्रदूषण बढ़ने की आशंका बढ़ती जा रही है. पेड़ों की अवैध कटाई कर कई लोग मालामाल हो रहे हैं. वहीं, प्रकृति से हरियाली घटती जा रही है. प्रशासन की लापरवाही के कारण जंगलों का उजाड़ दिया जा रहा है. कई जगहों पर कीमती बीजा पेड़ की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और औने पौने दाम में बेची जा रही है.
पेड़ लगाने के नाम पर सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि पर्यावरण में अनुकूलता बनी रही. आज पेड़ों की कमी की वजह से लगातार मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है. वृक्ष को लगाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा का जिम्मा विभाग के अधिकारी को सौंपी जाती है, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके, लेकिन वृक्ष लगाने के बाद वहां प्रशासनिक अमला झांकने तक नहीं जाता कि वृक्षों की क्या स्थिति है, पेड़ों को पर्याप्त मात्रा में पानी तक नहीं मिल पाता है, जिसके कारण पेड़ पूरी तरह से फल फूल भी नहीं पाते। वहीं जो पेड़ सभी परिस्थितियों के बाद भी बढ़ जाते हैं, उन्हें तस्करों द्वारा काट दिया जाता है.
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प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के कारण पेड़ काटने वालों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है और न ही पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लग पा रहा है. वन माफियाओं पर रोकथाम नहीं होने के कारण जहां कभी घना जंगल हुआ करता था, वहां पर अब ठूंठ ही नजर आते हैं. इस समय सागौन के अलावा आम, इमली, बबूल, जामुन, बरगद, नीम प्रजाति के पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से जारी है. इन पेड़ों की हो रही कटाई से वन क्षेत्रों को तो नुकसान हो रहा है, इसके अलावा पर्यावरण पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिसका परिणाम गर्मी के मौसम में देखने को मिलता है.