Chhattisgarh: राजनांदगांव जिले में एक आरक्षक की आत्महत्या करने से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. शनिवार सुबह एक पुलिस आरक्षक की पेड़ पर फांसी के फंदे से लटकी हुई लाश मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है. आरक्षक ने सुसाइड करने से पहले अपनी हथेली पर एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसके बाद सियासत गरमा गई है.
पुलिस आरक्षक ने किया सुसाइड
जानकारी के अनुसार खैरागढ़ में आरक्षक का शव पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका मिला है. मृतक की पहचान अनिल रत्नाकर के रूप में हुई है, जो खैरागढ़ जिले में आरक्षक के पद पर पदस्थ था. खैरागढ़ के रामपुर घोरदा इलाके में उसका शव मिला है. सबसे बड़ी बात यह है कि राजनांदगांव पुलिस रेंज में हाल ही में हुए आरक्षक भर्ती घोटाले मामले में 14 संदेही की जांच हो रही थी. माना जा रहा है कि मृतक आरक्षक भी संदेही के तौर पर शामिल था.
हथेली पर लिखा सुसाइड नोट
मृतक आरक्षक ने पेन से अपनी हथेली पर सुसाइड नोट लिखा है. मृतक ने लिखा- ‘आरक्षक भर्ती ड्यूटी में कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है, अधिकारियों को बचाया जा रहा है.’ वहीं, आरक्षक की मौत होने के आरक्षक के घर में मातम पसरा हुआ है. आरक्षक अनिल रत्नाकर महासमुंद जिले के सरायपाली का निवासी था. 4 साल पहले आरक्षक के पद पर तैनात हुआ था. अपने माता पिता का छोटा बेटा था. वहीं, उसका बड़ा भाई भी पुलिस में अपनी सेवा दे रहा है.
सुसाइड पर गरमाई सियासत
इस मामले में सियासत गरमा गई है. पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट करके कई सवाल खड़े कर दिए हैं. साथ ही इस हत्या और घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट किया- ‘राजनांदगांव का पुलिस भर्ती घोटाला तो गंभीर मामला दिखता है. आरक्षक अनिल रत्नाकर ने आत्महत्या से पहले अपने हाथ पर जो लिखा है वह इसकी गंभीरता को बताता है. ‘कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है, अधिकारियों को बचाया जा रहा है। अधिकारी सब इन्वॉल्व हैं’ का मतलब साफ है CM विष्णु देव साय जी. भ्रष्टाचार तो हुआ है. अधिकारियों की भूमिका भी है. अब तो उच्च स्तरीय जांच होनी जरूरी है.’
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मामले में पूर्व मुख्यमंत्री की एंट्री के बाद अब सियासत तेज हो गई. बीजेपी का कहना है कि राजनांदगांव मामले को लेकर सरकार गंभीर हw, जिनके शासनकाल में वनरक्षक परीक्षा और पीएससी परीक्षा में घोटाला हुआ उनका सवाल उठाना बिल्कुल सही नहीं है. वहीं, कांग्रेस कह रही है कि राजनांदगांव में हुए आरक्षक भर्ती घोटाले मामले में बड़े लोगों को बचाने के लिए आरक्षक को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया या फिर उसकी हत्या की गई इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
बता दें कि साल 2021 में मृतक आरक्षक पुलिस में शामिल हुआ था. मृतक कांस्टेबल हाल ही में हुए राजनांदगांव में आरक्षण भर्ती में ड्यूटी पर तैनात किया गया था. इस भर्ती प्रक्रिया में धांधली और लेनदेन के आरोप लगे हैं और रत्नाकर उन 14 आरक्षकों में शामिल थे, जिन्हें संदेह के घेरे में रखा गया था. ये सभी 14 आरक्षक भर्ती प्रक्रिया से जुड़े हुए थे. अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मुद्दे पर राजनीति कितना गरमाती है और क्या सरकार इस मामले की जांच करवाती है या नहीं.