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Chhattisgarh News: रेत माफियाओं के हौसले बुलंद, रातभर चीर रहे महानदी का पेट… पढ़ें Inside Story

रेत माफियाओं के हौसले बुलंद

Chhattisgarh News: सियासत की धमक व प्रशासन की कमीशनखोरी का शिकार बनी महानदी आज बहुत बेचैन, व्याकुल और असहाय नजर आ रही है. रेत माफियाओं से सांठ- गांठ करने में विभागीय अमले ने कोई कसर नहीं छोड़ी है और इन्हीं के संरक्षण में माफियाओं द्वारा पवित्र महानदी का सीना छलनी किया जा रहा है. नियमतः अधिकृत रेत घाट में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रेत निकाली जाती है, लेकिन चंद रुपयों के लालच में अवैध तस्कर भूखे भेड़िये की तरह रातभर महानदी का पेट चीर रहे हैं.

बता दें कि मामला बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड में स्थित दातान रेत घाट का है. जहां खुलेआम रातभर तीन चैन माउंटेन से भारी मात्रा में रेत चोरी की जा रही है. राजस्व मंत्री के गृह जिले में ही महानदी के कोख को अवैध तरीके के खोदकर लगातार रेत तस्करी की जा रही है. जिस कारण एक ओर सरकार को बड़ी राजस्व हानि हो रही है. वहीं, दूसरी ओर महानदी का प्राकृतिक सौंदर्य तहस नहस हो गया है. उक्त घाट में पूर्व में रेत खनन की गयी जगह को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, मानो ये महानदी न होकर कोई बड़े साइज का नाला हो. राजनीतिक पहुंच व प्रशासन के मिलीभगत से महानदी पर हो रही अत्याचार के कारण महानदी की अस्तित्व को खत्म होते देखने पर ग्रामीण मजबूर हो गए हैं.

अवैध उत्खनन से पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव

ये बात निस्संदेह कही जा सकती है कि रेत नदी के पारिस्थितिकी तंत्र का अनिवार्य हिस्सा है. नदी के जल-प्रवाह और मछलियों की ही तरह यह नदियों को सेहतमंद रहने में मदद करता है. यह भू-जल के पुनर्भरण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है और प्रवाही जल में पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है. नदियों में जल-प्रवाह की कमी के दिनों में रेत जल-प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है. विभिन्न प्रकार के जलीय जीव-जंतुओं के प्राकृतिक वास के लिहाज से भी रेत महत्वूर्ण है.

परन्तु वर्तमान में रेत के अवैध खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है. इससे जल स्तर कम होता जा रहा है. रेत में पानी को सोख कर जमीन में संग्रहित करने की अत्यधिक क्षमता होती है, जब नदियों में रेत ही नहीं रहेगी तो पानी का अवशोषण कैसे होगा? प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने में रेत की बड़ी भूमिका रहती है रेत खनन के कारण नदियों की स्वतः जल को साफ कर सकने की क्षमता पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही रात भर अवैध रेत खनन करके सरकारी खजाने के लाखों करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है.

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प्रशासन को रेत माफियाओं का खौफ!

खुलेआम रात में हो रही रेत चोरी की जानकारी को कुछ पत्रकारगण द्वारा फील्ड में पहुंचकर जिला कलेक्टर को अवगत कराया गया. साथ ही सीविजिल ऐप में भी शिकायत की गयी. फिर भी जिला प्रशासन किसी तरह की कोई करवाई नहीं कर सकी. इसी तरह पूर्व में भी दातान घाट को लेकर पत्रकारों द्वारा संज्ञान में लाये जाने पर कलेक्टर ने पलारी तहसीलदार को उचित कार्यवाही हेतु निर्देशित किया था. लेकिन उक्त माफियाओं के खौफ के कारण उक्त अधिकारी की घाट में जाने की हिम्मत नहीं हुई तथा बाहर रोड में पकड़े 5 हाइवा में केवल 2 पर ही कार्यवाही हो पायी. इस प्रकार न तो कलेक्टर कुछ कार्रवाही क़र पा रहे हैं और न ही निर्वाचन आयोग, खनिज, परिवहन, पुलिस, राजस्व अधिकारी द्वारा कोई उचित कार्यवाही देखने को मिल रही है. यहां तक की स्थैतिक निगरानी दल के सामने से रेत हाइवा खर्राटे मारते हुए निकल रही है, फिर भी शून्य कार्यवाही. तमाम बातों से स्पष्ट है कि माफियाओं के आगे जिला प्रशासन लाचार और बेबस नजर आ रहा है.

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