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CG News: एसडीएम साहब सर्किट हाउस में पीड़ितों को बुलाकर रिश्वत का करते थे डील, बाबू और चपरासी भी अपना विभाग छोड़ दे रहे थे साथ

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SDM रिश्वत लेने के बाद जमीन के मामलो में यहीं से फैसला सुनाते थे

Chhattisgarh News: सरगुजा जिले के उदयपुर एसडीएम भागीरथी खांडे को पुलिस ने रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. रिश्वत लेने के इस मामले में लिपिक चपरासी और नगर सैनिक को भी गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में खुलासा हुआ है कि एसडीएम भगीरथी खांडे कई बार पीड़ितों को उदयपुर स्थित लोक निर्माण विभाग के सर्किट हाउस में बुलाते थे और रिश्वत लेते थे. वहीं एसडीएम के साथ पकड़े गए लिपिक और चपरासी ने एसडीएम दफ्तर में खुद को अटैच कराया था क्योंकि एसडीएम दफ्तर मलाईदार माना जाता है.

एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी प्रमोद खेस ने बताया कि एसडीएम भागीरथी खांडे जांजगीर चांपा के डबरा गांव का रहने वाला है. वह 2008 तक आर्मी की नौकरी में था. इसके बाद 2013 में भूतपूर्व सैनिकों के लिए पीएससी के द्वारा निकाले गए भर्ती के माध्यम से नायब तहसीलदार बना और कुछ साल पहले डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंचा. उसके बाद उसे उदयपुर का एसडीएम बनाया गया था.

जाति कल्याण विभाग का है चपरासी 

बता दें कि एसडीएम के दफ्तर में कार्यरत लिपिक शिक्षा विभाग से यहां अटैच हुआ था. वहीं चपरासी आदिम जाति कल्याण विभाग का है और उसने भी अटैचमेंट एसडीएम दफ्तर में कराया था. सरगुजा संभाग के कई तहसील और एसडीएम कार्यालय में अलग-अलग विभाग के पहुंच वाले कर्मचारियों ने अपना अटैचमेंट कराया हुआ है क्योंकि राजस्व विभाग मलाईदार विभाग माना जाता है.

एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी प्रमोद खेस ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि एसडीएम खांडे के द्वारा दफ्तर में खुद अपने हाथ में रिश्वत का पैसा नहीं लिया जाता था. वह रिश्वत का सौदा तय करने के बाद रुपए अपने कर्मचारियों को देने के लिए कहता था. आशंका है कि रिश्वत का हिस्सा कर्मचारियों को भी मिलता रहा होगा. दूसरी तरफ एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने एसडीएम को रिश्वत के मामले में पकड़ने के बाद अंबिकापुर स्थित उनके सरकारी आवास की भी तलाशी ली, जहां से अलमारी में रखा 96, 600 नगद और जमीन के रजिस्ट्री संबंधित दस्तावेज मिले. जिसे देखकर पता चलता है कि उन्होंने 2008 में 8 एकड़ जमीन खरीदी है. हालांकि पूछताछ में एसडीएम ने बताया है कि जमीन उन्होंने आर्मी से रिटायर होने के बाद मिले पैसे से खरीदी है लेकिन एसीबी को आशंका है कि एसडीएम के द्वारा रिश्वतखोरी से मिले पैसों से और भी कई इलाकों में जमीन सहित दूसरे कार्यों में पैसा इन्वेस्ट किया गया होगा. डीएसपी के मुताबिक अब इस पूरे मामले की पड़ताल की जाएगी उसके बाद यह पता चल सकेगा कि एसडीएम ने रिश्वतखोरी से कितनी संपत्ति बनाई है.

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बता दे कि छत्तीसगढ़ की इतिहास में पहली बार अपर कलेक्टर रैंक के अधिकारी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. सबसे बड़ी बात है कि रिश्वत लेने के इस नेटवर्क में शामिल कर्मचारियों को भी ब्यूरो के अफसरों ने धर पहुंचा. एसडीएम भागीरथी खांडे रिश्वत लेते पकड़े जाने से 2 दिन पहले उदयपुर इलाके के घाट बर्रा गांव में ग्राम सभा में पहुंचे थे जहां लोगों ने उन पर ग्राम सभा में कोल माइंस कंपनी के पक्ष में विरोध के बाद भी ग्राम सभा का प्रस्ताव पास करने का आरोप लगाते हुए उन्हें घेर लिया था और जमकर नारेबाजी भी की थी.

एसडीएम साहब रिश्वत में लेते थे जमीन

जिस कन्हाई राम बंजारा से जमीन के मामले में पक्ष में फैसला देने के बदले में ₹50000 रिश्वत लिया गया, उस कन्हाई राम बंजारा से एसडीएम ने 50 डिसमिल जमीन भी रिश्वत में ले ली थी और उस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी अपनी परिचित एक महिला के नाम पर करा लिया था जिसे बाद में वह उस महिला से ले लेता. पीड़ित कन्हाई राम बंजारा ने एंटी करप्शन ब्यूरो को इसकी जानकारी दी और बताया कि एसडीएम के कहने पर ही दबाव में आकर उसने 50 डिसमिल जमीन उस महिला के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी किया हुआ है. एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम उस महिला से भी पूछताछ करेगी और जानने की कोशिश करेगी कि क्या पहले भी एसडीएम ने उसके नाम पर जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी कराकर जमीन की खरीद बिक्री तो नहीं की है.

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