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Chhattisgarh News: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- ‘एक पार्टी को धर्म की राजनीति करनी है दूसरे को जाति की’

Chhattisgarh News: अपने बयानों को लेकर अक्सर लाइमलाइट में रहने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों को निशाने पर लिया है. बिना नाम लिए देश की दोनों बड़ी पार्टी को अविमुक्तेश्वरानंद ने घेरा है. उन्होंने कहा कि एक पार्टी धर्म पर राजनीति कर रही है दूसरी पार्टी जाति पर राजनीति कर रही है. ये बयान उन्होंने छत्तीसगढ़ में दिया है.

दरअसल, सोमवार को रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसमें उन्होंने देश में विपक्ष की तरफ से हो रहे जातिगत जनगणना की मांग को लेकर कहा कि भारत के सब निवासी एक हैं तो जातिगत जनगणना क्यों? जो जिस जाति को मान रहा है, उसे मानने दिया जाए. जाति व्यक्तिगत उन्नयन के लिए है. राजनीति के लिए नहीं है. एक दल को धर्म की राजनीति करनी है दूसरे को जाति की. जातिगत जनगणना उचित नहीं है, ऐसा हमारा मानना है.

गोमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग

इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार से गोमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग रखी है. उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव में गौहत्या हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. छत्तीसगढ़ सरकार से गोमाता को राजमाता का दर्जा देने की मांग करेंगे. जिससे केंद्र सरकार भी गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दे सके. आजादी का अमृतकाल चल रहा है लेकिन गौहत्या बंद नहीं हुई. जो गौ हत्यारी दलों के साथ होगा उसे हिंदू नहीं मानेंगे. गौ हत्यारी पार्टियों को जो वोट देंगे वह गौहत्या के पाप के भागी होंगे.

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उन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी नहीं, जितनी वापी है, वहां जाकर हम पूजा अर्चना शुरू करेंगे. हमारा अधिकार बनता है हम अपने स्थानों को पुनः वापस लें.इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

वहीं छत्तीसगढ़ आएं तो उन्होंने राज्य की बड़ी समस्या नक्सली को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पराया पन हटाकर नक्सलियों से बात करने की जरूरत है. उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है. कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए नक्सलियों को बढ़ावा देते है. ऐसे लोगों पर कड़ाई करने की जरूरत है. नक्सलियों को भड़काने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई जरूरी है.

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