Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र मड़वाही में जहां प्राथमिक शाला दुवारी टोला मड़वाही में पढ़ने लिखने वाले आदिवासी बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल करने के लिये काफी दिक्कतों का सामना कर रहे है. अपनी जान को जोखिम में डालकर नदी के तेज बहाव के बीच चलकर शिक्षा के मंदिर तक का रास्ता तय करते हैं.
नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे
नदी नालों में पुल ना होने के कारण आदिवासी बच्चों को आवन जावन करने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, नदी नालों को पार कर अपने बच्चों को स्कूल जाते देख पालको के मन में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है। पहले भी इस नदी से लोग बह चुके है,ज्यादा पानी का बहाव होने से कभी कभी बच्चे हफ्तो तक स्कूल नहीं पहुंच पाते. नदी में पुल निर्माण को लेकर विधायक एवं कलेक्टर से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों को हताशा और निराशा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है,यहां के पढ़ने लिखने वाले बच्चों की हालत आज भी भगवान भरोसे है.
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सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ
गौरतलब है कि सरकार हर साल करोड़ों रुपये की योजना बनाती है. नौनिहालों के भविष्य गढ़ने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का दावा करती है, पर इसकी जमीनी हकीकत तलाशें तो धरातल मे कोरी कल्पना ही नजर आती है. जिले के प्रभारी मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल कुछ दिन पहले जब नगर पंचायत मरवाही के नवनियुक्त अध्यक्ष एवं पार्षदों के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे तो इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भाजपा के 15 साल के शासन में कई गावों में प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल खोले गए थे, इस तरह 15 सालों में 10 गुना स्कूल खोले गए थे.
अगर कहीं ऐसी स्थिति है कि बच्चों को नदी पार करके स्कूल जाना पड़ रहा है, तो हम वहां पुल जरूर बनाएंगे. अब देखने वाली बात यह होगी कि आदिवासी अंचल मरवाही क्षेत्र के मड़वाही के हथगढी नदी को पार कर जान जोखिम उठाकर पढ़ने वाले छात्रों की तस्वीरें कब बदलती है.