Chhattisgarh News: गौठान और गोबर की चर्चा पिछले 5 सालों में देश और प्रदेश में जमकर हुई. कांग्रेस सरकार ने इस योजना को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया. इसको लेकर चुनाव से पहले राजनीति भी हुई. 1300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा. लेकिन अब इस योजना पर संशय बन है कि आगे क्या?
अधर में क्यों लटके गोबर से बने प्रोडक्ट?
दरअसल ग्रामीण गौठानों में ताला लटक रहे हैं, तो आविष्कार की फैक्ट्री माने जाने वाले गौठानों के संचालक सिर मे हाथ रख बैठे हैं कि अगर योजना बंद हुई तो गाय को क्या खिलाएंगे और खुद क्या खाएंगे. भाजपा इस योजना में घोटाले का आरोप लगा रही है. वहीं कांग्रेस हर वर्ग के लिए इसे लाभदायक योजना बता रही है.
क्या थी योजना?
खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन को भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनने के लिए छत्तीसगढ़ में पूर्व की कांग्रेस सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को की थी. योजना संचालित करने के लिए कांग्रेस सरकार ने 10 हजार से ज्यादा गौठान खोलने का लक्ष्य रखा थे. इसमें से 4 हजार से ज्यादा गौठान बनाए भी गए. इसमें पशुपालकों से सरकार 2 रुपए प्रति किलो के दर से गोबर खरीदी कर रही थी. इसके अलावा सक्षम हो चुके गौठान 4 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से गोमूत्र की खरीदी करती थी.
इन गौठानों में हजारों महिलाओं को रोजगार का अवसर भी मिला है. धीरे-धीरे गौठान से बने प्रोडक्ट राष्ट्रीय मार्केट पहुंचने लगे. वर्मी कंपोस्ट के अलावा गोबर की राखी, गोबर पेंट, पुट्टी, गुलाल, गमला, मूर्ति, टाइल्स, पेंसिल, पेपर, चप्पल जैसे कई प्रोडक्ट्स भी बनाए जाने लगे. लेकिन अब योजना कांग्रेस के जाते ही अधर में लटकती नजर आने लगी है.
क्या योजना हो जाएगी बंद?
छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई है और भाजपा सत्ता में आ गई है. सरकार बनने के 1 महीने बीत जाने के बाद भी गोधन न्याय योजना को लेकर संशय बना हुआ है. योजना चलेगी या बंद किया जाएगा, इस पर निर्णय होना अभी बाकी है. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर 1300 करोड़ के गोबर घोटाले का आरोप भी लगाया था. इसलिए चर्चा ये भी होने लगी की ये योजना बंद हो जाएगी. इस संशय के बीच गौठान संचालक और महिलाओं के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. क्योंकि गोबर खरीदी पूर्ण तरह से बंद है. आगे यह योजना चलेगी या बंद हो जाएगी… इस पर फैसला न आने से महिलाएं असमंजस में हैं.
महिला समूह की गुहार- योजना बंद करने की जगह स्वरूप बदल दे सरकार
जरवाय गौठान की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे ने कहा कि गौधन न्याय योजना में कोई फ़ैसला नहीं होने से गौठान में काम करने 35-40 महिलाएं हड़बड़ा गई हैं. हम लोग अधिकारी और नेताओ से भी मुलाकात कर रहे हैं कि सरकार भले इसका स्वरुप बदल दे. लेकिन योजना बंद नहीं होनी चाहिए वरना हमारे सामने फिर से आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा.
2023 के विधानसभा चुनाव में रहा गोबर खरीदी बड़ा मुद्दा
बीते विधानसभा चुनाव में गाय और गौठान बड़े राजनीतिक मुद्दा मे से एक रहा है. चुनाव में कांग्रेस को भ्रष्टाचार के आरोप से नुकसान भी उठाना पड़ा. अब इस योजना को लेकर चल रही बहस पर भाजपा के अमित चिमनानी का कहना है कि कांग्रेस सरकार की अधिकांश योजनाओं के इंप्लीमेंटेशन में गड़बड़ी हुई है, सीएम साहब ने स्पष्ट किया है. योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की जाएगी और समीक्षा के बाद ही निर्णय लिया जाएगा. वहीं कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि योजना से हर वर्ग का फायदा हुआ है. प्रधानमंत्री ने भी बजट में इसकी तारीफ की है. आठ राज्य सरकारों ने इस योजना का अध्ययन किया. इस योजना को राजनीतिक विद्वेष के कारण बंद नहीं करना चाहिए.