Chhattisgarh News: बजरंगबली हर संकट को हर लेते हैं. यही कारण है कि राजधानी रायपुर के कौशल्या विहार में ट्रेनिंग कर रहे युवक-युवतियां इन दिनों हनुमान चालीसा का पाठ करते-करते सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं. दरअसल, जय श्रीराम नि:शुल्क सैन्य प्रशिक्षण एकेडमी और अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के द्वारा युवक और युवतियों को हर रोज निशुल्क सेना में जाने ट्रेनिंग देते हैं.
हनुमान चालीसा का पाठ कराने के पीछे क्या है उद्देश्य?
श्रीराम नि:शुल्क सैन्य प्रशिक्षण एकेडमी के द्वारा लड़के लड़कियों को प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ कराया जाता है. इसके अलावा जनरल नॉलेज की भी ट्रेनिंग दी जाती है. रविवार को एकेडमी के सभी छात्रों को योगा की क्लास दी जाती है, ताकि बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत रहें.
निशुल्क ट्रेनिंग से कितने लोगों को मिल है लाभ?
जय श्रीराम नि:शुल्क सैन्य प्रशिक्षण से अभी तक हजारों युवक युवतियों ने फ्री ट्रेनिंग ली है. पूर्व सैनिक पन्नालाल सिन्हा ने बताया कि फिलहाल बहुत सारे बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है और उसका रिजल्ट भी अच्छा आ रहा है. छत्तीसगढ़ पुलिस, रेलवे विभाग, सीआरपीएफ,सीआईएसएफ,फोरेस्ट और अग्नि वीर में बच्चे सेवाएं दे रहे हैं.
किन-किन विधाओं की देते हैं ट्रेनिंग
कैंप में रोजाना इंडियन आर्मी, नेवी और एयर फोर्स की निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. सुबह 5:30 बजे ट्रेनिंग की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ होती है और समापन राष्ट्रगान के साथ किया जाता है. इसमें ऊंची कूद, लंबी कूद, रनिंग, बीम, नाइन फीट जंप, शॉर्ट फूट, गोला फेंक, सिटअप, चिनअप की ट्रेनिंग दी जाती है.
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ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे युवा क्या कहते हैं
रायपुर के रहने वाले चैतन्य देव साहू ने बताया कि प्रतिदिन सुबह उठकर 5:30 बजे ट्रेनिंग के लिए आते हैं. यहां ट्रेनिंग लेकर शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत महसूस करते हैं पुलिस में जाकर प्रदेश की सेवा करना चाहते हैं.रायपुर की ही रहने वाली पूर्वी सिन्हा बताती है फिजिकल के साथ जनरल नॉलेज भी अच्छे से सिखाया जाता हैं. ट्रेनिंग लेकर आर्मी में जाना चाहती है ताकि देश की रक्षा कर सके.
वर्तमान में कितने युवा ले रहे निशुल्क ट्रेनिंग
अभी वर्तमान में लगभग 55 लड़के और लड़कियों का बैच है जिनकी ट्रेनिंग हो रही है. युवाओं का ग्रुप सुबह 5:30 बजे ट्रेनिंग के लिए पहुंचते हैं और 7:30 तक सभी निशुल्क ट्रेनिंग का फायदा उठाते हैं.
बच्चों को ट्रेनिंग देने का आइडिया कहां से आया?
रिटायर्ड फौजी पन्नालाल सिन्हा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के युवा फौज में बहुत कम जाते हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में प्रत्येक घर से फौजी निकलते हैं.हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से भी ज्यादा से ज्यादा युवा फौज में जाएं और देश की सेवा करें. इसी उद्देश्य को लेकर ट्रेनिंग की शुरुआत की गई शुरुआती दिनों में 3 बच्चों के साथ ट्रेनिंग की शुरु की थी. आज दूर-दूर से युवक-युवतियां प्रशिक्षण लेने आते हैं. आपको बता दें कि पन्ना लाल सिन्हा 1987 में फौज में भर्ती हुए थे. वहीं 1999 में कारगिल युद्ध के बाद 2005 में रिटायर हुए. उनका यह मकसद है कि बच्चों को फ्री में फिजिकल ट्रेनिंग दी जाए ताकि देश और प्रदेश के युवा सही मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ सके.