Vistaar NEWS

Chhattisgarh: अंबिकापुर में प्रतियोगी परीक्षार्थियों का दर्द, जर्ज़र लाइब्रेरी में बैठने जगह नहीं, ई-लाइब्रेरी के नाम पर हुआ धोखा

Chhattisgarh News

File Image

Chhattisgarh News: सरगुजा संभाग मुख्यालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों के लिए एक अदद ठीक लाइब्रेरी भी नहीं है ऐसे में जर्जर हो चुके जिला ग्रंथालय में कुछ छात्र पढ़ने पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नई किताबें भी नहीं है, दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर परीक्षार्थी इस लाइब्रेरी में आकर पढ़ने के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन लाइब्रेरी प्रबंधन उन्हें यहां आने की अनुमति नहीं दे पा रहा है, क्योंकि बैठने तक की जगह नहीं है.

ई-लाइब्रेरी के नाम पर यहां रखे गए कंप्यूटर तक नहीं

अंबिकापुर में 10 साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने जिला ग्रंथालय को ई लाइब्रेरी में तब्दील करने के लिए भरपूर कोशिश किया और तब कई काम भी हुए यहां ई लाइब्रेरी के लिए कई कंप्यूटर लगाए गए और तब लगा कि अब परीक्षार्थियों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन कलेक्टर के तबादले के बाद जिम्मेदारों ने इस तरफ ध्यान देना ही छोड़ दिया और अब ई लाइब्रेरी के नाम पर यहां रखे गए कंप्यूटर तक नहीं है. वहीं लाइब्रेरी का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है, इसकी वजह से लाइब्रेरी प्रबंधन छात्रों को लाइब्रेरी में बैठने से डर रहा है, तो लाइब्रेरी की किताबों को अलमारी में बंद कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- जांजगीर के गैस लीक हादसे में मृतकों के परिजनों को दिए जाएंगे 5-5 लाख, विष्णु सरकार ने की घोषणा

तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अंबिकापुर में 20 करोड़ रुपए की लागत से रायपुर की तरह नालंदा परिसर डिजिटल लाइब्रेरी निर्माण की घोषणा की थी,  लेकिन सरकार बदलने के बाद अब इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जबकि अंबिकापुर शहर में सरकारी लाइब्रेरी की सही हालत नहीं होने के कारण यहां निजी लाइब्रेरी खुलने लगे हैं और अब तक 15 के करीब प्राइवेट लाइब्रेरी खुल चुके हैं. जहां छात्रों को हर माह 500 से 1000 रुपए देकर पढ़ाई करना पड़ रहा है. वही परीक्षार्थी इस सरकारी लाइब्रेरी की दशा दिशा सुधारने की मांग कर रहे हैं. वहीं जर्ज़र लाइब्रेरी में 110 लोगों के बैठकर पढ़ने की व्यवस्था है जबकि 1700 परीक्षार्थियों ने लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ने के लिए आवेदन किया है, लेकिन वे यहां बैठने की जगह नहीं होने की वजह से आकर नहीं पढ़ पा रहें हैं. दूसरी तरफ जिला ग्रंथालय के लिए हर साल महज 70-80 हजार रुपए का बजट मिलता है.

अफसरों को दी गई जानकारी, लाइब्रेरी की दशा सुधरने की उम्मीद

स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों के द्वारा ध्यान नहीं देने की वजह से शिक्षा विभाग से संचालित जिला ग्रंथालय में कंप्यूटर नहीं होने पर मोबाइल से पढ़ाई कर रहें हैं. जबकि यहां का कलेक्टर सहित तमाम अफसर लाइब्रेरी की व्यवस्था का जायजा ले चुके हैं, लेकिन हालत जस का तस है. यह लापरवाही तब है. जब अंबिकापुर में सरगुजा संभाग के अलग-अलग जिलों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र आते हैं. इन सबके बीच तमाम अवस्थाओं के बीच संचालित इस सरकारी लाइब्रेरी के ठीक होने की उम्मीद यहां के लाइब्रेरियन को है, उनका कहना है कि उन्होंने भी इसी लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई की है और आज नौकरी में है वे भी चाहते हैं की लाइब्रेरी की व्यवस्था जल्दी सुधरे. जिला ग्रंथालय के ग्रन्थपाल मुकेश कुमार दुबे ने बताया कि लाइब्रेरी की जर्जर हालत की जानकारी वरिष्ठ अफसर को दे दी गई है, और कलेक्टर के द्वारा इसके लिए विशेष पहल की जा रही है. जल्दी लाइब्रेरी की दशा और दशा सुधारने के लिए काम शुरू होने की उम्मीद है. लाइब्रेरी में काम जगह होने की वजह से 1700 परीक्षार्थियों को हम यहां पढ़ने के लिए अनुमति नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि हमारे पास लाइब्रेरी में बैठने की जगह नहीं है.

Exit mobile version