Chhattisgarh News: बलरामपुर रामानुजगंज जिले में गिट्टी क्रेशर और पत्थर खदानो ने लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. ब्लास्टिंग से जहां खदानों का पत्थर लोगों के घरों में आकर गिर रहा है, तो क्रेशर से निकलने वाला धूल लोगों की जिंदगी में जहर घोल रहा है, और लोग बीमार हों रहें हैं, लेकिन कलेक्टर कह रहें हैं कि मुझे तो जानकारी नहीं है, जबकि लोगों का कहना है कि कलेक्टर से लेकर तमाम अफसरों से वे शिकायत कर चुके हैं.
बरियों बघिमा इलाके में क्रेशर और पत्थर खदान से बीमार हो रहे लोग
बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके में बघिमा, भेसकी, भिलाई सहित आसपास के गावों में दर्जन भर से अधिक पत्थर खदान और क्रेशर चल रहें हैं, लेकिन पर्यावरण मंडल के नियमों को ताक पर रखकर क्रेशर का संचालन से लोग परेशान हैं, लोगों के घरों के घरों के अंदर पत्थर का धूल चला जा रहा है, उनके किचन में रखा खाना में धूल जम रहा है तो ज़ब रात में घरों में सोते हैं तब भी सांस के माध्यम से धूल फेफड़ों में जाकर जम रहा है, और लोग सांस की बीमारी से पीड़ित हो रहें हैं, लेकिन जिम्मेदार हैं कि इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहें हैं और हालत दिन पर दिन खराब हो रहा है.
बघिमा गांव की प्रियंका ने अपने घर के किचन का हाल दिखाया और कहा कि किचन में रखा खाना और पानी में धूल जम जाता है. नहीं क्रेशर से जहां खतरनाक धूल से जीवन तबाह हो रहा है वहीं पत्थर निकालने के लिए खदानो में होने वाले ब्लास्ट से लोगों का घर तक हिल जा रहा है, ब्लास्ट के समय पत्थर के टुकड़े लोगों के घरों में आकर गिर रहा है और लोग बाल बाल बच रहें हैं, गांव वाले क्रेशर मालिकों को इसकी शिकायत करते हैं, अफसरों को शिकायत करते हैं लेकिन कोई नहीं सुनता और अब लोगों को चिंता इस बात की है कि वे ऐसे हाल में किसी तरह जी रहें हैं लेकिन उनके बच्चों का क्या होगा.
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सिलोकोसिस और अस्थमा जैसे बीमारियों से पीड़ित हो रहे लोग
बलरामपुर जिले में 28 गिट्टी क्रेशर हैं. बघिमा, बरियों, भेसकी, भिलाई, डिगनगर, घोडगड़ी, कोटागहना, चड़गढ़, चंगोरी, धौरपुर में क्रेशर हैं. क्रेशर से निकलने वाले धूल से इन गावों के हजारों परिवार के लोग परेशान हैं. धूल के मुंह और नाक में जाने से सिलोकोसिस और अस्थमा से लोग पीड़ित हो रहें हैं। वहीं पत्थर खदानों की गहराई भी 200-250 फ़ीट तक है लेकिन सुरक्षा के लिए कोई बाउंड्रीवाल तक नहीं है.वहीं पत्थर खदानों की वजह से भू जल स्तर भी इन गावों में 400 फ़ीट नीचे चला गया है जबकि इस इलाके के क्रेशर से गिट्टी यूपी, बिहार और झारखण्ड तक सप्लाई किया जा रहा है.
शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि उनके शिकायत के बाद अफसर आते हैं और घूमकर चले जाते हैं. अधिक से अधिक नोटिस जारी किया जाता है लेकिन समस्या दूर नहीं किया जाता है। वहीं जानकारों का कहना है कि खनिज व जिला प्रशासन के कई अफसरों से खनिज मफियाओ की तगड़ी सेटिंग है, और अवैध लेनदेन की वजह से दर्जनों बार शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं होती है.
अब जानिए क्रेशर संचालन के क्या हैं नियम
क्रेशर मालिकों को क्रेशर व खदान के चारो तरफ सुरक्षा के लिए फेंसिंग करना अनिवार्य है. क्रेशर से धूल न निकले इसके लिए क्रेशर के हॉपर में पानी डाला जाना चाहिए और क्रेशर का गिट्टी चलनी बंद होना चाहिए, ताकि धूल न निकले लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. पौधरोपण करना अनिवार्य है ताकि प्रदुषण को कम किया जा सके. क्रेशर और पत्थर खदानों के मालिक प्रदुषण रोकने के लिए पौधे लगाने की बात तो दूर उनके द्वारा जंगल की जमीन पर कब्जा कर वहां खदानों से निकलने वाले मलबा को डंप किया जा रहा है और पेड़ पौधे बर्बाद हो रहें हैं. इससे कई एकड़ जंगल खत्म हो रहें हैं. वहीं पत्थर निकालने के लिए किये जाने वाले ब्लास्टिंग में भी मनमानी की जा रही है और अचानक ब्लास्टिंग से लोग सहम जा रहें हैं तो क्रेशर दिन रात चल रहें हैं जिसकी आवाज़ से भी आसपास के घरों में रहने वाले बच्चे ठीक से पढ़ाई भी नहीं कर पा रहें हैं. बलरामपुर जिले के कलेक्टर आर. एक्का का कहना है कि उन्हें तो जानकारी ही नहीं है, अब जानकारी मिली है तो एसडीएम को भेजकर जांच कराएंगे.