Chhattisgarh News: गरीब आदमी का भी पक्के का मकान हो और सुकून की जिंदगी जी सके इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की लेकिन सरगुजा के ग्रामीण इलाकों में नौ हजार गरीबों के पक्के मकानों का निर्माण अधूरा है, क्योंकि उनके बैंक खाते से रुपये निकालकर पंचायत प्रतिनिधियों ने हड़प लिया, तो कई जगह दूसरे दलालो ने. वहीं कई लोगों के खाते में योजना का पूरा पैसा ही नहीं आया.
नौ हजार गरीबों के नहीं बने आवास
दरअसल सरगुजा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हितग्राहियों के बैंक खाता में पहली किस्त की राशि आई, लेकिन ग्रामीणों के जागरूक नहीं होने और उनकी अशिक्षा का फायदा उठाकर दलालों ने उनके खाते से पैसा निकलवा लिया कि उन्हें मकान बनाकर देंगे, लेकिन नहीं दिया गया. वहीं कई हितग्राहियों को तो यह भी पता नहीं चला कि कामन सर्विस सेंटरों में बैंक मित्रों ने बायोमैट्रिक मशीन में फिंगर लगवाकर उनके खाते से पैसा हजम कर दिया, और अब पीड़ित इसकी शिकायत कर रहें हैं, लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हो रही है. दूसरी तरफ कई हितग्राहियों के खाते में रुपये न जाकर दूसरे बैंक खाता में कर्मचारियों की मिलीभगत से भेज दिया गया और वास्तविक हितग्राही मकान बनाने रुपये का इंतज़ार करते रहे, लेकिन पैसे नहीं मिले. ऐसा मामला सरगुजा के मैनपाट के अधिकतर गावों में है, और हितग्राही लाचार नजर आ रहें हैं. वहीं हाथी प्रभावित इलाकों के परिवारों को पक्के मकानों की जरूरत और भी अधिक थी क्योंकि हाथी झोपड़ियों व कच्चे मकानों को तोड़ देते हैं.
दलालों ने हितग्राहियों का पैसा किया हजम
ग्रामीणों ने जब सुना था कि उनके पक्के मकान बनेंगे तो उनकी खुशी का ठिकाना न था, लेकिन अब तो कई हितग्राही इस बात का इंतज़ार कर रहें हैं कि कोई तो उनकी खुशियों को सच में पूरा कर सके अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में बारिश के समय उन्हें झोपड़ियों में किसी तरह रहना पड़ेगा. साल 2016 से 2023 के बीच सरगुजा में 65905 पीएम आवास की स्वीकृति मिली थी. इसमें 56900 आवास का निर्माण हुआ, लेकिन 9005 मकान अब भी निर्माणाधीन हैं, क्योंकि दलालों ने हितग्राहियों के खाता से रुपये निकालकर हजम कर लिया है. बता दें कि योजना की 60 प्रतिशत राशि केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है.
साय सरकार ने 18 लाख नए मकान किए पास
छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद विष्णुदेव सरकार ने 18 लाख नए मकान पास किया है, लेकिन सरगुजा में पहले से ही स्वीकृत नौ हजार मकानों का निर्माण कैसे पूरा होगा और गरीबों के साथ हुए धोखा पर क्या उन्हें न्याय मिल पायेगा. इस दिशा में जिम्मेदार अफसर भी फाइलों में सिर्फ आंकड़ेबाजी का ही खेल कर रहें हैं, और यही वजह है कि इस योजना से दूर जिले के माझी, पंडो, कोरवा जनजाति के लोग झोपड़ियों में जिंदगी जीने मजबूर हैं. जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर का कहना है कि नौ हजार मकान नहीं बने हैं, उन्हें दो माह में हर हाल में पूरा करने की कोशिश है, गड़बड़ी की जांच कराई जा रही है.