Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पारंपरिक त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो चुका है. अपनी पारंपरिक त्यौहारों और संस्कृति के लिए छत्तीसगढ़ आज पूरे विश्व भर में जाना जाता है, उसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में आज पोला तिहार मनाया जा रहा है.
प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा पोला का त्योहार
पोला का पर्व छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. मिट्टी के बैल और खिलौने की पूजा भी पोला पर्व के दिन की जाती है. छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी, खुरमी जैसे पारंपरिक पकवान भी बनाए जाते हैं. यह पर्व किसानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. इस पर्व में किसानों और खेतीहर मजदूर के लिए विशेष महत्व रखता है वही इस पर्व में मिट्टी के बैलों को लेकर कहा जाता है कि बैल किसान के बेटे की तरह होते हैं किसान बैलों की खास तौर से पूजा करते हैं. खेती किसानी में बैलों का सबसे अहम काम होता है किसान बैलों की पूजा कर उनके प्रति सम्मान जताते हैं. इस साल पोला का पर्व 2 सितंबर 2024 को भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा ऐसा माना गया है की बैल भगवान का स्वरूप है और इस वजह से इसकी पूजा की जाती है.
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पोला के दिन होती है बैलों की पूजा
छत्तीसगढ़ या फिर भारत के जितने भी कृषि से जुड़े गांव हैं उनके लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है. गाय बछड़े की पूजा होने के साथ ही बैलों को सजाया जाता है साथ ही आज के दिन गाय और बैलों को लक्ष्मी जी के रूप में देखा जाता है और इसे पूज्यनी माना गया है. पोला पर्व में बैलों की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है, जिनके पास बैल नहीं होते हैं वह मिट्टी के बैलों की पूजा आराधना करके चंदन टीका लगाकर उन्हें माला पहनाते हैं. मिट्टी के बैल बाजार में काफी रौनक लाए हुए हैं लोगों की भीड़ लगी हुई है मिट्टी के बैलों को खरीदने के लिए साथ ही मिट्टी के बने खिलौने भी बच्चो को मन मोह रहे है। कुम्हार जाति के लोग तीजा पोला के त्यौहार में मिट्टी के बैल के साथ मिट्टी के बर्तन, चकिया और खिलौने बनाकर बाजारों में बेचते है जो इस पर्व में बाजार की खूबसूरती बना रहा है।