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Chhattisgarh: एजुकेशनल टूर में बेंगलुरु और मसूरी गए रायपुर के पार्षदों की मौज, नाच-गाकर बना रहे रील

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रायपुर नगर निगम के पार्षद

Chhattisgarh News: रायपुर नगर निगम के पार्षदों का एजुकेशनल टूर फेयरवेल टूर बनकर रह गया है. महापौर एजाज ढेबर सहित 65 पार्षद एजुकेशनल टूर में बेंगलुरु और मसूरी गए हुए हैं. लेकिन ट्रिप रील बनाने का उपयुक्त टूर बन गया है. पार्षद हिल स्टेशन में छत्तीसगढ़ी गाना बजाकर नाच गा रहे हैं. फिश स्पा का मजा ले रहे हैं.

एजुकेशनल टूर में रायपुर पार्षद कर रहे मस्ती

शहर में निगम के नेताओं के टूर को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं. कई लोग मेयर और पार्षदों का फेयरवेल टूर बता रहे है. सरकारी खर्च पर गए हैं. बैकग्राउंड में म्यूजिक के साथ छत्तीसगढ़ी गानों पर नाचते मौज मस्ती कर रहे हैं. कुछ पार्षद रील बनवा रहे हैं. बादलों से घिरे रिसॉर्ट में रह रहे हैं.  ये सभी बैंगलोर, कून्नूर, ऊटी, मैसूर और कोयंबटूर के दौरे पर हैं. महापौर शैक्षणिक संस्थानों में घूमकर वहां के डेवलपमेंट को लेकर वीडियो डाल रहे हैं. चलिए अब आपको पूरी कहानी बताते है.  दिसंबर में नगर निगम के चुनाव होने हैं. महापौर ढेबर से लेकर हर पार्षद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. अक्टूबर के आखिर में आचार संहिता लागू हो सकती है. ऐसे में डेढ़- दो महीनों में कोई नया सिस्टम नगर निगम में लागू होगा इसकी उम्मीद कम ही है. लेकिन रायपुर के महापौर समेत तमाम पार्षदों का मानना है कि एजुकेशनल ट्रिप का फायदा मिलेगा मैसूर नगर पालिक निगम में एसटीपी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, पेयजल आपूर्ति, रोड मैनेजमेंट, टैफिक मैनेजमेंट से बहुत कुछ सीखा जा रहा है.

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एक पार्षद के पीछे 50 से 60 हजार का आता है खर्च

पार्षद 8 से 16 हजार रुपए मैसूर के होटल जेपी पैलेस में रुके है. इसके आलावा हिल स्टेशन के रिसॉर्ट में भी नेताओं ने रात बिताई है.  टूर पर सभी नेता फ्लाइट से सफर कर रहे हैं. यह पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है. वहीं भाजपा पार्षद मनोज वर्मा का मानना है कि यह टूर उपयुक्त नहीं है. क्योंकि चुनाव होने वाले है और योजना को इतनी जल्दी लागू करना नामुमकिन है. राज्य शासन 20 मसले पर संज्ञान लेने की बात कह रही है.

ये कैसा शैक्षणिक टूर?

पहले भी रायपुर के महापौर सहित बड़ी टीम इंदौर और चंडीगढ़ के दौरे पर गई थी. उस समय भी कुछ ऐसे ही वीडियो सामने आयी थी . लेकिन इस बार घूमने, फिरने और मस्ती मजाक के इतने वीडियो सामने आ गए जो बड़ी हलचल बन गई. अब सवाल यह है कि जब कुछ महीनो में चुनाव होना है. तब ऐसे वक्त में हफ्ते भर के एजुकेशनल ट्रिप की आवश्यकता क्यों महसूस हुई. खैर अब तो आने के वक्त बताएगा कि आखिर उन्होंने क्या सीखा और क्या जाना??

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