Chhattisgarh News: प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे कोंटा ब्लॉक में सरकारी नियमों की धज्जियां, सरकारी नुमाइंदे ही उड़ा रहे हैं. कोंटा इलाके के घोर नक्सल प्रभावित गांव मेहता से गोलापल्ली के बीच चल रहे सड़क निर्माण में सैकड़ों पेड़ों पर जेसीबी चलाया गया. वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मौके से एक माउंटेन चैन, एक जेसीबी मशीन और एक हाईवा को जब्त किया गया है. बताया जाता है कि बिना अनुमति के रिजर्व्ड फॉरेस्ट में ठेकेदार द्वारा बेशकीमती पेड़ों को काटा जा रहा था. लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. विभाग के निर्देश पर ठेकेदार ने सड़क किनारे लगे सैकड़ों हरे भरे पेड़ों को काट दिया.
ग्रामीण बोले- पर्यावरण को हो रहा नुकसान
ग्रामीणों का कहना है भविष्य में पर्यावरण को भारी नुकसान होगा. वहीं सड़क से गुजरने वाले लोगों को तेज धूप में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. एक तरफ भारत सरकार विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प लेता है कि हर साल करोड़ों पेड़ लगाएं और भविष्य को सुरक्षित करें, लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ विकास के नाम पर सालों पुराने पेड़ों को ठेकेदार काटते जा रहें हैं. स्थनीय ग्रामीणों का कहना है कि हमारे इलाके में विकास के नाम पर कई जगह बड़ी संख्या में पेड़ काटे हैं निर्माण एजेंसियों द्वारा सड़कों के चौड़ीकरण को लेकर हों या नई रोड़ बनाना हो जहां भी देखो सड़क किनारे या उस रास्ते आने वाले सैकड़ों हरे भरे विशाल पेड़ों को काट दिया जाता है लेकिन सड़क बनने के बाद दोबारा से सड़क किनारे पेड़ों को नहीं लगाया जाता है। इससे जहां पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और हमारा गांव हरियाली से दूर होता जा रहा हैं। ग्रामीणों ने बताया दशकों से ये हमारा रास्ता रहा हैं हम आना जाना करते थे लेकिन इस बार गर्मी के समय सड़कों से गुजरने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा हैं क्योंकि यहा पहले भी जंगल को ठेकेदार द्वारा काटा गया था इसलिए पहली बार यहां गर्मी भी ज्यादा पड़ी हैं.
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कहने का तात्पर्य हैं कि क्षेत्र में एमपीआरडीसी, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, पीडब्ल्यूडी आदि ने सड़कों के चौड़ी करण को लेकर कई पेड़ों को काट दिया लेकिन सड़क बनने के बाद निर्माण एजेंसी ने उनके स्थान पर दोबारा से पौधरोपण नहीं कराया. इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
03 साल में सड़क निर्माण के लिए 4000 से ज्यादा पेड़ों की कटाई
सुकमा जिले का कोंटा विकासखण्ड में सड़क निर्माण कार्य के लिए लगातार पेड़ों की कटाई से हो रही पारिस्थितिकी क्षति की ओर इशारा करते हुए स्थानीय पत्रकारों और समाजसेवियों ने सरकार से कई बार अनुरोध किया है कि वह नष्ट हुए पेड़ों की भरपाई के लिए युद्ध स्तर पर पौधे लगाए, क्योंकि पेड़ एनजीटी नियम के विपरीत पेड़ो की कटाई की जा रहीं हैं। एक आकड़े के मुताबिक सड़क विस्तार कार्य के लिए मार्च 2020 से अबतक कोंटा विकासखंड में कुल 4000 पेड़ काटे गए हैं। लेकिन इसके लिए बड़ी संख्या में कभी वृक्षारोपण नहीं किया गया जबकी कोंटा विकासखंड में 06 फॉरेस्ट रेंज आते हैं। लगातार आरोप लगता हैं कि वन विभाग के अधिकारी भी जंगल का संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जब सुकमा और कोंटा के गांवों में जंगल और पेड़ ही नहीं रहेंगे तो यहां का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा। जिसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा।
वन विभाग एसडीओ अजय कावरे ने दी जानकारी
कोंटा वन विभाग एसडीओ अजय कावरे ने बताया कि शिकायत मिलने पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ सड़क निर्माण का निरीक्षण किया है। निरीक्षण में कार्यवाही शुरू किया गया हैं जिसमें चैन माउंटेन वा जेसीबी और एक हाईवा जब्त किया गया हैं प्रकरण की पूरी कार्यवाही करने के पश्चात बताया जाएगा।