Chhattisgarh News: राजनांदगांव जिले में बाढ़ एवं अन्य आपदा से निपटने के लिए प्रशासन की एसडीआरएफ टीम के पास ना तो कुशल सैनिक हैं और ना ही जरूरी संसाधन. यही कारण है कि, जब भी राजनांदगांव में आपदा आने पर जरूरत पड़ती है, तब दुर्ग और रायपुर से एसडीआरएफ की टीम में बुलाई जाती है. लिहाजा जब तक टीम पहुंचती हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. हाल ही में एक फैक्ट्री में आग लग गई थी, जहां कड़ी मशक्कत करने पर 12 घण्टों के बाद आग पर काबू पाया गया.
जिले की SDRF टीम में सैनिकों और संसाधनों की कमी
वहीं मोहारा नदी में एक युवक के बह जाने पर 24 घण्टे बाद युवक की लाश मिली. वहीं रहवासी क्षेत्रों में आग लगने पर कई बार लोगों की जान तक चली गई है. ऐसे में विस्तार न्यूज की टीम बाढ़ एवं अन्य आपदा से निपटने के लिए प्रशासन की एसडीआरएफ टीम की मशीनों और सभी सुविधाओं की जांच करने रियलिटी चेक करने पहुंची. राजनांदगांव जिला सेनानी कार्यालय, जिस पर करीब 300 किलोमीटर की परिधि में रेस्क्यू और आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी है, वहां वर्तमान में महज 239 सैनिक हैं, जिनमें से खैरागढ़-गंडई-छुईखदान और मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी जिलों के लिए 40 जवानों को भेज दिया गया है, जिसके कारण महज 199 सैनिक ही बचे हैं. आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित लोगों की बात करें तो यहां कोई भी ट्रेंड सिपाही नहीं है.
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आपदा में संभाग कार्यालय के भरोसे राजनांदगांव
किसी भी बड़ी आपदा के आने पर उन्हें संभाग कार्यालय के भरोसे रहना पड़ता है. संसाधनों की बात करें तो होमगार्ड के पास 4 बोट थी, जिनमें से चालू हालात में सिर्फ 3 ही बोट हैं, शेष को डिस्मेंटल किया जा रहा है. वहीं इन बोट्स को घटना स्थल पर ले जाने के लिए वाहन भी नहीं है. घटना घटित होने के बाद गाड़ी की व्यवस्था करने पर ही बोट्स को मौके पर ले जाया जा सकता है. ऐसे में तब तक बड़े हादसे हो जाते हैं। यहां के सैनिकों में एक भी सैनिक ऐसा नहीं है, जिसे कुशल गोताखोर माना जाए और आवश्यकता पड़ने पर वो गहरे पानी में उतर सके. न ही इन्हें डाइव करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराया गया है.