Snake Bite: छत्तीसगढ़ जंगलों से घिरा एक राज्य है, जहां विभिन्न प्रकार के सांप पाए जाते हैं. लोगों की सांस तो सांप को देखते ही रुक जाती है. लेकिन सांप के 200 प्रकार की प्रजातियों में से सिर्फ 20 से 30 ही जहरीली होती हैं. फिर भी सांप को देखने भर से लोग कांप उठते हैं.
NCRB के आंकड़ों की बात करें तो, पिछले चार-पांच सालों में 60,000 से ज्यादा लोगों की मौत सांप के काटने से हुई है. मगर यह आंकड़े अनुमानित हैं. कई जगह रिपोर्ट ना होने के कारण आंकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं. छत्तीसगढ़ को किसान बहुल क्षेत्र भी कहा जाता है क्योंकि छत्तीसगढ़ की 60% से ज्यादा आबादी कृषि पर ही निर्भर है. बारिश के मौसम में किसान खेतों में खाली पैर काम कर रहे होते हैं जिसके चलते सर्पदंश का आंकड़ा छत्तीसगढ़ में ज्यादा देखने को मिलता है.
नागलोक तपकरा
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में तपकरा नाम का गांव है जिसे ‘नागलोक’ के नाम से भी जाना जाता है. आज के जमाने में नागलोक सुनकर हम पुराने जमाने के किस्से कहानियों को सोचते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के नागलोक की कहानी हम आपको आज बताएंगे. जशपुर छत्तीसगढ़ की एक ऐसी जगह है, जहां अलग-अलग प्रकार के जहरीले सांपों का बसेरा है. तपकरा का वातावरण सांपों के लिए अनुकूल है .अमूमन बरसात में ही बहुत सारे सांप तपकरा में देखने को मिलते हैं और गर्मी का मौसम आते ही वह अपने बिल में चले जाते हैं.
माना जाता है कि तपकरा में 70 से सांपों की ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं, जो देशभर में कम पाई जाती हैं. इस स्थान पर कोबरा की चार अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं. King Cobra, Pit Viper, Russel Viper, Green Pit Viper आदि जहरीले सांप पाए जाते हैं.
कोरबा में किंग कोबरा
कोरबा ऊर्जाधानी के साथ-साथ अब सांपों को लेकर भी चर्चा में है. कोरबा में किंग कोबरा समेत वन सुंदरी जैसी दुर्लभ प्रजातियों के साथ सांपों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है. कोरबा को भी अब दूसरा नागलोक के नाम से लोग जानने लगे हैं. कोरबा में जंगल के साथ-साथ रिहाईसी इलाकों में भी जहरीले सांपों का बसेरा बढ़ता जा रहा है.
कोरबा के स्नेक कैचर राहुल सोनी ने बताया कि हर साल उनकी टीम को 3000 से 4000 कॉल रेस्क्यू के लिए आते हैं. अमूमन जहरीले सांपों के लिए ही उनको कॉल आता है. स्नेक कैचर सांपों को आबादी वाले क्षेत्रों से ले जाकर उनको दूर जंगल में आजाद कर देते हैं. राहुल बताते हैं कि लोग सांप को देखते ही मार देते हैं. चाहें वो बिना विष वाला ही सांप क्यों न हो.
ऐसा अनुमान है कि कोरबा जिले में 50 से अधिक प्रजातियां सांपों की निवास करती हैं. किंग कोबरा से लेकर Banded Krait, Common Krait जैसे जहरीले सांप हों या फिर वन सुंदरी जैसे दुर्लभ सांप… सभी का कोरबा में निवास है और अमूमन देखा गया है कि जहरीले सांपों के काटने के बाद गांव के लोग हकीम बाबा या फिर वैद्य से इलाज करवाते हैं जिसका नतीजा मौत ही होता है.
स्नेक रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष जितेंद्र सारथी का कहना है कि जब भी जहरीला सांप आपको काट ले, जिला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर आपको वहां अपना इलाज कराना चाहिए. कोई बाबा हकीम या वैद्य आपको बचा नहीं सकते हैं.
कौन सी प्रजातियां हैं मौजूद
छत्तीसगढ़ के कोरबा में किंग कोबरा, गेहुआ कोबरा, कॉमन करैत, रसलवाइपर (गोना सांप), कील ब्लैक, रसाल कुकरी, बैंडेड रेसर आदि सांप छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं.
ये हैं जहरीले सांप
King Cobra, Spectical Cobra (नाग), Rattle स्नेक, पीट वाईपर, करैत, आदि.
बिना जहर वाले सांप
रेट स्नेक (धामन), Common Wolf Snake, Checkered Keelback (ढोडिया) आदि.
सर्पदंश से मृत्यु के बाद मिलता है मुआवजा
छत्तीसगढ़ में किसान बड़ी संख्या में खेती करते हैं, जिसके कारण सर्पदंश के कई मामले सामने आते हैं और उनमें से कुछ की मौत हो जाती है. ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि सांपों के काटने के बाद अगर किसी की मृत्यु हो जाए तो उनके परिवार को सरकार 4 लाख रुपए तक का मुआवजा 48 घंटे के अंदर प्रदान करती है.
भारत में सर्पदंश से हर साल हजारों मौतें
भारत में जहरीले सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं. किंग कोबरा इन्हीं में से एक है. एक अध्ययन के मुताबिक, सांप के काटने से भारत में सालाना 64,000 लोगों की मौत होती है. पिछले 20 साल का रिकॉर्ड देखें तो भारत में 9 लाख से ज्यादा लोगों की मौत सिर्फ सांप के काटने से हुई. वहीं इनमें से 95 फ़ीसदी मौतें गांव-देहात के इलाकों में हुई है. सांपों के काटने से पुरुषों की मौत महिलाओं के मुकाबले ज्यादा हुई है. इसकी एक वजह पुरुष किसानों का खेतों में काम करना भी है.
डॉ समीर जोशी बताते हैं कि सांप के काटने से हुई मौत को चुकी आपदा से हुई मौत माना गया है ऐसे में राज्य सरकार के नियमानुसार 48 घंटे में सभी कार्यवाही पूरी कर मुआवजे की राशि पीड़ित के सबसे नजदीकी संबंधी के खाते में भेज दी जाती है.
मुआवजे की क्या होती है प्रक्रिया
• सांप के काटने से हुई मौत का मुआवजा लेने के लिए पीड़ित का पोस्टमार्टम सबसे जरूरी होता है. उसी के आधार पर पीड़ित परिवार को मदद का पैसा मिलता है. ऐसे में मौत के तुरंत बाद परिजनों को चाहिए कि वह पीड़ित का पोस्टमार्टम कराए.
• डॉ समीर बताते हैं कि मुआवजा राशि पाने के लिए परिजनों को सिर्फ दो काम करने होते हैं, उसके बाद पूरा काम प्रशासन करता है. अगर किसी की मौत सर्पदंश से हुई है तो उसके परिजन तत्काल लेखपाल को इसकी सूचना दें. वही दूसरा काम यह है कि पीड़ित को पोस्टमार्टम के लिए ले जाएं और उसकी रिपोर्ट (जिसमें सर्पदंश से मौत की पुष्टि हुई है) लेखपाल को दे दें. उसके बाद पूरा काम लेखपाल का तहसीलदार और एसडीएम के कार्यालय से होता है.
• लेखपाल को जैसे ही सर्पदंश से मौत की जानकारी मिलती है, वह पीड़ित के सबसे नजदीकी का अकाउंट नंबर, आधार कार्ड आदि दस्तावेज इकट्ठा कर लेता है और प्रक्रिया को आगे बढ़ा देता है. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आते ही फाइल बनाकर तहसीलदार को भेज दी जाती है. यहां से एसडीएम से अनुमति मिलते ही फाइल एसडीएम फाइनेंस एवं रेवेन्यू के पास आती है और जिले के कोष से पैसा तत्काल भेजने के आदेश दिए जाते हैं.
अगर ना सुनें लेखपाल और अधिकारी तो?
डॉक्टर समीर जोशी बताते हैं कि अगर लेखपाल लापरवाही करें या 48 घंटे में पैसे ना आए तो, इस स्थिति में सीधे एसडीएम के यहां शिकायत की जा सकती है. इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में एसडीएम के यहां सर्पदंश से मौत पर मुआवजे के लिए आवेदन किया जा सकता है. अगर एसडीएम ना सुने तो जिला कलेक्टर के पास भी आप आवेदन दे सकते हैं.