Chhattisgarh News: राज्य सरकार ने जिले के सभी कलेक्टरों को कोटवारी जमीन के संदर्भ में निर्देश जारी किया है. शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कोटवारों को उनकी सेवा के एवज में दी गई जमीन सेवा भूमि है, इसलिए यह बिक नहीं सकती. सभी कलेक्टर को पत्राचार कर कोटवारों की जमीन के संदर्भ में विशेष निर्देश देकर कुछ धाराओं का उल्लेख करते हुए उन्हें वापस कोटवारी भूमि में दर्ज करने की बात लिखी गई है.
सरकारी जमीन बेचने के मामले में सेमरताल कोटवार बर्खास्त
तहसील प्रशासन ने सेमरताल कोटवार को कोटवारी जमीन बेचने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया है. नामांतरण रद्द कर जमीन शासन के हवाले किए जाने का आदेश भी दिया है. इसके पहले मामले में कोटवार और क्रेेता को तहसील प्रशासन ने सुनवाई का मौका दिया. जांच पड़ताल के साथ जवाब संतोषप्रद पेश नही किए जाने पर तहसील प्रशासन ने रजिस्ट्री और नामांतरण रद्द कर कोटवार को पद से हटा दिया है. प्राथमिक जांच में पाया गया कि कोटवार ने अपनी निजी जमीन को बेचा है. जांच में पाया गया कि कोटवार परमेश्वर दास मानिकपुरी ने कोटवार रहते हुए. सेमरताल स्थित कोटवारी जमीन खसरा नम्बर 532 और 553 की बिक्री सेमरताल निवासी पुरूषोत्तम प्रसाद साहू को किया है.
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जानिए क्या था पूरा मामला
कोटवार ने अपने जवाब में बताया कि रजिस्ट्री के समय गलत खसरा नम्बर चढ़ाया गया. उसने कोटवारी से लगी अपनी निजी जमीन का सौदा किया है, लेकिन सुनवाई के दौरान परमेश्वर ने संतोषप्रद जवाब पेश नहीं किया. तहसील प्रशासन ने नियमों के तहत कोटवारी जमीन की रजिस्ट्री को ना केवल निरस्त किया, बल्कि नामांतरण भी निरस्त कर दिया. इसके अलावा परमेश्वरदास मानिकपुरी को सेवा से बर्खास्त भी कर दिया है.