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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में है विश्व की पहली नाट्यशाला, भगवान राम के वनवासकाल से भी जुड़ा है इतिहास

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सीता बेंगरा

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व की कई जगहें है. उन्हीं में से एक है सरगुजा की सीताबेंगरा गुफा. अंबिकापुर शहर से 45 किलोमीटर दूर उदयपुर नाम का कस्बा है. उदयपुर से 3 किलोमीटर अंदर एक जगह को रामगढ़ कहा जाता है. रामगढ़ में प्राचीन गुफाएं हैं. शोधकर्ताओं ने इन गुफाओं में से एक को एशिया की सबसे प्राचीन नाट्यशाला माना है. माना जाता है कि भगवान राम ने अपनी सेना के मनोरंजन के लिए इस नाट्यशाला को बनवाया था.

राम के वनवास काल से जुड़ा है सीता बेंगरा का इतिहास

भगवान राम को छत्तीसगढ़ का भांचा माना जाता है. अपने वनवास के दौरान काफी समय प्रभु श्रीराम ने माता, सीता और लक्ष्मण के साथ दंडकारण्य में बिताएं. माता जानकी भी वनवास के दौरान महलों का सुख त्याग कर वन में अपने पति परमेश्वर श्रीराम के साथ 14 वर्ष बिताएं. इस दौरान प्रभु श्रीराम के पद सरगुजा की धरती पर भी पड़े.यहां के रामगढ़ में श्रीराम ने कुछ समय बिताया. यहां की सीताबेंगरा गुफा को राम का आश्रय माना जाता है. राम, सीता और लक्ष्मण के प्रवास के कारण ही इस गुफा को सीताबेंगरा गुफा दिया गया था.

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सीताबेंगरा को माना जाता है, विश्व की पहली नाट्यशाला

रामगढ़ पर्वत के निचले शिखर पर सीताबेंगरा और जोगीमारा की अद्वितीय कलात्मक गुफाएं हैं. भगवान राम के वनवास के दौरान सीताजी ने काफी समय गुफा मे बिताया. इस गुफा को सीताबेंगरा के नाम से प्रसिद्धि मिली. इन्हीं गुफाओं को दुनिया की पहली रंगशाला कहा जाता है.इसलिए ये कला प्रेमियों का तीर्थ स्थल भी है. जोगीबेंगरा गुफा करीब 44 फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी है. 1960 में पूना से प्रकाशित ”ए फ्रेश लाइट आन मेघदूत” में रामगढ़ से जुड़ी चीजों को अंकित किया गया है. इस किताब में श्री राम की वनवास स्थली रामगढ़ को माना गया है.

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