Chhattisgarh News: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद रविवार, ( 9 जून ) को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इस दौरान उनके साथ अन्य 71 मंत्रियों को भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद और गोपनियता की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह के एक दिन बाद यानी आज सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक हुई. इस दौरान मंत्रालयों का बंटवारा भी हुआ. जिसमें छत्तीसगढ़ के बिलासपुर सांसद तोखन साहू को भी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली. तोखन साहू को मोदी के नए कैबिनेट में शहरी आवास, राज्यमंत्री बनाया गया है.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में कमाल का प्रदर्शन किया है. सिर्फ कोरबा लोकसभा को छोड़ दिया जाए तो 11 में से 10 सीटें भारतीय जनता पार्टी की तरफ गईं हैं. 9 जून को प्रधानमंत्री के साथ मंत्रियों को भी पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. इसी मंत्रियों में से एक तोखन साहू भी थे. छत्तीसगढ़ में बढ़िया प्रदर्शन के बाद राज्य को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलना तो लाजिमी था, लेकिन यह जगह किसे मिलेगी तय नहीं था दोपहर होते होते बिलासपुर से सांसद तोखन साहू का फोन बजा और केंद्रय मंत्री बनना तय हो गया. उन्होंने राज्य मंत्री के रूप में गोपनीयता की शपथ ली थी.
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मंत्रिमंडल में क्यों शामिल किए गए तोखन साहू?
बिलासपुर से सांसद तोखन साहू मंत्री बन गए, लेकिन हर किसी के मन में यह सवाल जरूर है कि तोखन साहू को मंत्री क्यों बनाया गया? जबकि प्रदेश से सीनियर नेता भी सांसद बने हैं. इसके जवाब के लिए समीकरण समझना होगा. खबरों के अनुसार छत्तीसगढ़ की लगभग 1 करोड़ 35 लाख ओबीसी आबादी में साहू समाज का दबदबा सबसे ज्यादा माना जाता है. इसके बाद यादव समाज जो कि करीब 18 प्रतिशत होने का दावा करते हैं.
वहीं, कुर्मी समाज की आबादी 6-7 फीसदी है. विधानसभा और लोकसभा को लेकर यह माना जाता है कि साहू समाज ने पिछले 2 दशकों में बीजेपी को ज्यादा समर्थन दिया है. साथ ही परंपरागत रूप से भाजपा को वोट दिया है. इसके पीछे की वजह यही मानी गई है कि भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में समाज से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, ज्यादा से ज्यादा मौका देने की कोशिश की.
साहू समाज को साधने की कोशिश में शीर्ष नेतृत्व
सियासी गलियारों में चर्चा यही है कि साहू समाज को साधने के लिए ही तोखन साहू को मंत्री बनाया गया है. बात 2014 की हो तो साहू समाज से कुल 3 सांसद रहे हैं. जिसमें से बीजेपी से 2 और कांग्रेस से एक सांसद थे. 2019 में यह संख्या घटकर 2 रह गई. भाजपा से जुड़े दोनों सांसद बिलासपुर और महासमुंद लोकसभा सीटों से जीतकर आए थे. अगर बात 2018 के विधानसभा चुनाव की करें तो दोनों पार्टियों ने 22 साहू कैंडिडेट्स को टिकट दिया था.
हालांकि बताया जा रहा है कि इस बार साहू समाज ने भाजपा से 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारना की मांग की, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया. राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि बिलासपुर से केवल एक तोखन साहू को मैदान में उतारने से भाजपा के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया, यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समाज तक पहुंचे और धमतरी में अपने एक भाषण में उन्होंने दावा किया कि वह भी साहू समाज से हैं.