Chhattisgarh News: झोलाछाप से इलाज के चक्कर में दो किशोर भाईयों की मौत हो गई. तीन दिन से दोनों बीमार चल रहे थे. घटना कोटा थाना क्षेत्र की है. ग्राम टेंगनमाड़ा निवासी सैय्यद जब्बार अली के बेटे इरफान अली उर्फ जावेद कक्षा 7 वीं और जानू कक्षा 6वीं के छात्र थे. तीन दिनों से उनकी तबीयत खराब थी. दोनों को मलेरिया हुआ था. तेज बुखार आने के बाद 15 जुलाई को दोनों को परिजन टेंगनमाड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए. यहां से कुछ दवाएं देने के बाद घर भेज दिया गया. उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद परिजन उसे टेंगनमाड़ा के ही एक झोलाछाप दीपक गुप्ता के कथित क्लीनिक में लेकर गए.
यहां उन्हें ड्रिप लगाया गया और दवाएं खिलाई गई. इससे दोनों की हालत बिगड़ गई. जानू की वहीं मौत हो गई. झोलाछाप इरफान को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा तो पिता उसे लेकर कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आया. यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. कोटा सीएचसी से मेमो आने के बाद कोटा पुलिस ने मर्ग कायम किया. दोनों मलेरिया पॉजिटिव मरने वाले बच्चों में जानू की मौत के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में डॉक्टरों ने जांच की तो मलेरिया पॉजिटिव निकला, जबकि जावेद की जांच गांव में ही मितानिन ने ही किट से की थी. वह भी पॉजिटिव निकला.
8 दिन पहले निजी अस्पताल में भर्ती युवक की भी मौत
आठ दिन पहले कोंचरा गांव में रुपेंद्र पटेल को मलेरिया से पीड़ित होने के कारण शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां उसकी मौत हो गई. स्वास्थ्य अमले के खिलाफ परिजन एफआईआर पर अड़े है, घटना के बाद झोलाछाप के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने बच्चे के परिजन अड़े हुए हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही कार्रवाई की बात कह रही है. वहीं झोलाछाप चार साल से इलाज कर रहा है, झोलाछाप अपने मामा गांव में रहकर पिछले चार साल से लोगों का इलाज कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कभी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
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डायरिया से 12 दिन में 3 की मौत
जिले में पिछले 12 दिन में डायरिया से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. डायरिया का कहर अभी थमा नहीं है. रतनपुर के 7-8 गांव से लगातार डायरिया के मरीज आ रहे हैं. सबसे अधिक रतनपुर में मदनपुर में डायरिया के मरीज पाए गए हैं. इन्हें रतनपुर के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. रतनपुर के महामाया वार्ड क्रमांक 3 में डायरिया का प्रकोप 12 दिन बाद भी नहीं थमा है. हर रोज कोई न कोई नया मरीज मिल रहा है.