Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसे सुकमा जिले के कई इलाकें आज भी सरकार की योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. नक्सलवाद की वजह से इन इलाकों तक विकास पहुंचाना प्रशासन के लिए चुनौती से कम नहीं है. हालांकि बीते कुछ वर्षों में बस्तर के अलग -अलग जिलों में खोले गए नए पुलिस कैंप से इलाके की तस्वीर जरूर बदल रही है. नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रशासन की पहुंच बढ़ने से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मिलने लगी है. जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त प्रयास से ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़ने का काम लगातार जारी है. इसी कड़ी में सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित गांव टोंडामरका में गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले आदिवासियों को मोबाइल नेटवर्क की सौगात मिली है.
आम जनता देश -दुनिया की खबरों से रूबरू होंगे
दरअसल सुकमा जिले के थाना चिंतागुफा अन्तर्गत कैंप टोण्डामरका में गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले मोबाईल टावर लगाकर क्षेत्र को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ा गया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिलें में नक्सलियों के कोर क्षेत्रों में लगातार कैम्प स्थापित होने से आम लोगों को मूल-भूत सुविधायें मिल रही है. वर्तमान में संचार माध्यम की आवश्यकता हर किसी को है. मोबाइल और इंटरनेट आज लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. मोबाईल कनेक्टिविटी होने से क्षेत्रों में निवास कर रहे आम जनता देश -दुनिया की खबरों से रूबरू होंगे.
लोगों को ई-पाठशाला, पीडीएस की सुविधा मिल सकेगी
गौरतलब है कि मोबाइल टावर स्थापित होने से आदिवासी ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिल रहा है. टावर लगने से सूचनाओं के आदान-प्रदान अब सहज हो गया है. लोगों को ई-पाठशाला, पीडीएस की सुविधा मिल सकेगी. पहले एंबुलेंस बुलाने या आपातकालीन स्थिति में कई बार पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता था या कई किलोमीटर सफर करना पड़ता था तब बड़ी मुश्किल से बात हो पाती थी. अब मोबाइल टावर लगाए जाने से इन मामलों में सुविधा हो जाएगी. क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में जिला पुलिस बल सुकमा, 206 वाहिनी कोबरा एवं 131 वाहिनी सीआरपीएफ की विशेष भूमिका रही है.