Chhattisgarh News: बालोद जिले के सलोनी गांव के ग्रामीण आज शासन द्वारा लीज में दी गई रेत खदान को बंद करने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट पहुंचे. लगभग 300 की संख्या में ग्रामीण खनिज शाखा के सामने बैठे रहे, ग्रामीणों का कहना है की शान द्वारा खसरा नंबर 491 में रेट खदान को लीज पर दिया गया है. जिसे खदान शुरू करने की तैयारी की जा रही है जिसे हम बंद करवाने के लिए आए हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर जब रेत का खनन किया जाता है, तो हमारे गांव में पेयजल संकट आता है, और निस्तार की समस्या भी उत्पन्न होती है. भीषण गर्मी का मौसम है और यदि रेत खदान का संचालन किया गया तो हमें पानी के लिए मोहताज होना पड़ेगा. पूरे मामले पर यह पहलू नजर आता है कि लीज में दी गई विधिवत खदान को बंद करने के लिए सैकड़ो ग्रामीण पहुंचे हुए हैं, परंतु बालोद जिले में आधा दर्जन से अधिक अवैध रेट खदान संचालित है, जिसे लेकर अब तक संबंधित गांवों और प्रशासनिक वर्ग में चुप्पी देखने को मिल रही है.
लीज में लेने के बाद नहीं खोद पाया रेत
खनिज विभाग द्वारा ग्रामीणों की सहमति लिए बिना यहां पर रेत खदान को लीज में दिया गया है जिसका खामियाजा संबंधित ठेकेदार को उठाना पड़ रहा है, क्योंकि प्लीज में लेने के बाद उसने उसे जगह पर रेत खनन नहीं किया है जब भी वह रेत निकालने की तैयारी करता है, ग्रामीण कलेक्ट्रेट जाकर उसे बंद कर देते हैं अब समस्या यह है कि सरकार द्वारा खदानें लीज पर तो दी गई है, परंतु ग्रामीण की सहमति न होने के कारण सरकार के जेब में पैसा तो चला गया परंतु जिस ठेकेदार ने रेट खदान को लीज कराया है उसका लाखों रुपए का नुकसान हुआ है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा 50 लख रुपए की लागत इस खदान में लगाई गई है जिसे वह वसूल भी नहीं पाया है.
होती है पानी की कमी, ग्रामीणों ने दी आत्मदाह की चेतावनी
ग्रामीनफोन देशमुख ने बताया की रेत निकालने से पानी वहां पर रुकता नहीं है. अभी हम 30 मीटर में पानी निकाल लेते हैं उन्होंने कहा कि इस मामले पर यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. खदान को बंद नहीं किया जाता है, तो हम सब ग्रामीण प्रेत खदान में धरना प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो हम आत्मदाह भी करेंगे, क्योंकि निस्तार पर जल हम सब नदी पर ही निर्भर है उन्होंने कहा कि हमारा पूरा गांव नदी पर आश्रित है ऐसे में सरकार ने यदि लिख दिया है तो सरकार जाने हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
यहां कोई सुनने वाला नहीं
ग्रामीण केदार देशमुख ने बताया कि हम यहां पर आए हैं तो हमारी बातों को सुनने वाला कोई नहीं है खनिज अधिकारी से मिलने के बाद हमें कलेक्टर और अपर कलेक्टर से मिलने के लिए कहा गया, परंतु यहां पर कलेक्टर भी नहीं है और अपर कलेक्टर नहीं है यहां पर हम जनप्रतिनिधियों से बात करने के लिए कोई तैयार भी नहीं होता हमारा जीवन यापन नदी पर निर्भर है ऐसा लगता है मानो कि प्रशासन और रेत खदान संचालकों की सेटिंग हो गई हो इसलिए हम काफी परेशान हैं और यहां पर अपने नदी को बचाने के लिए आए हैं भीषण गर्मी है हर तरफ जल संकट है ऐसे में यदि नदी में उत्खनन किया जाता है तो हम पानी के एक बूंद के लिए तरस जाएंगे.
आखिर गलती किसकी
पूरे मामले पर जिन खनिज अधिकारी मीनाक्षी साहू ने बताया कि हमारा वहां पर रेत खदान स्वीकृत है सलोनी गांव में. परंतु ग्रामीण आए हैं की रेट का दान चलने से वहां पर वाटर लेवल डाउन हो जाता है पिछले साल भी यही स्थिति आई थी ग्रामीणों ने खदान को बंद कराया था इस साल भी प्रेत खदान नहीं चल पाया है उन्होंने कहा कि इस मामले पर जल्द ही कोई रास्ता निकालेंगे दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद यह बात सामने आता है कि इसमें ठेकेदार की क्या गलती है जिसने लाखों रुपए जमा कर इस नीलामी में हिस्सेदारी ली और रेत खदान संचालन के लिए इसे खरीद अब ना वह रेट निकाल पा रहा है और ना ही प्रशासन ग्रामीणों को मना पा रही है भीषण गर्मी में पेयजल संकट भी एक बड़ी समस्या है.