Chhattisgarh News: चोट के दर्द पर रोना आसान है. असफलता के दुख पर रोना थोड़ा कठिन होता है, लेकिन महिला हो या पुरुष रोने में कोई कमी नहीं छोड़ते है. जब भी मौका मिलता है फूट-फुटकर रोते हैं, हालाकि पुरुष रोने के मामले में महिलाओं से थोड़े पीछे रहते है और रोने को लेकर एक मान्यता ये भी है कि आंसू बहना दुखो के बोझ को हल्का कर देता है. आज रोने पर भूमिका इस लिए बांध रहा हूं क्योंकि आज का रिसर्च में आंसू बहने पर है.
महिलाओं के आंसुओं से क्यों पिघल जाते है पुरुष?
एक नया रिसर्च आया है, महिलाओं के आंसुओ का पुरुषों पर बहुत प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के आंसुओं की गंध पुरुषों की आक्रामकता घटा सकती है. मतलब पुरुष के गुस्से या नाराजगी को कम कर सकता है. इस पर अमेरिका के वाइसमान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज ने रिसर्च किया है. तो पता चला है कि महिलाओं के आंसुओं की गंध से पुरुषों के भीतर आक्रामकता 44 फीसदी तक कमी आती है. मतलब गुस्से का लेवल लगभग आधा हो जाता है.
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जानिए कैसे हुआ रिसर्च
इस रिसर्च में आंसुओं की शांत करने की क्षमता को चेक करना था. इसके लिए 6 महिलाओं ने भावुक पलों में निकले आंसुओं को जमा किया. फिर इस आंसू को ऐसे पुरुषों के संपर्क में लाया गया जो आक्रामकता को बढ़ावा देने वाले वीडियो गेम खेल रहे थे. इसके अलावा वीडियो गेम खेलने के समय ही MIR कर दिमागी एक्टिविटी को चेक किया गया.
आसूं सूंघने के बाद दिमाग में आक्रामकता से जुड़ी गतिविति घट गई. आंसू की गंध दिमाग के ऑल्फेक्ट्री रिसेप्टरों को एक्टिव कर देता है जो आक्रामकता से जुड़े दिमाग के सर्किटों को प्रभावित करता है. इससे करीब 44 फीसदी आक्रामकता घट सकता है. सिर्फ आक्रामकता ही नहीं पुरषों का टेस्टोस्टेरॉन मतलब स्पर्म का स्तर भी कम हो सकता है. यौन उत्तेजना भी घट जाती है.